MP High Court: कोर्ट के आदेश से परिवहन अफसरों की मुसीबत बढ़ी, अब वेतन से होगी वसूली, जानिए पूरा मामला

MP High Court: एक दशक से अधिक समय तक नौकरी करने के बाद हटाए गए 14 परिवहन आरक्षकों ने मप्र हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में याचिका दायर की थी. सुनवाई के बाद जस्टिस विशाल मिश्रा ने याचिका खारिज करते हुए कहा- जनवरी 2014 में परिवहन आरक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया गया था. इसके बाद भी लगभग 10 साल तक न केवल इनसे काम लिया गया, बल्कि वेतन भी दिया गया.

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Madhya Pradesh High Court: एक तरफ भोपाल में परिवहन विभाग के एक पूर्व आरक्षक के घर और नजदीकियों से करोड़ों रुपये की नकदी, सोना और जमीनों के दस्तावेज मिलने से हर तरफ इस विभाग के अफसरों की काली कमाई देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है तो वहीं अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) की ग्वालियर खण्डपीठ (Gwalior Bench) के एक आदेश ने परिवहन विभाग के अनेक वरिष्ठ  अफसरों की मुसीबतें बढ़ा दी है. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिन परिवहन आरक्षकों (MP Transport Constable ) को तत्काल नौकरी से हटाना था, उनसे वर्षों तक काम कराया गया. इस दौरान उन्हें जो वेतन दिया गया वह उन अफसरों से ही वसूला जाए जिन्होंने उनसे काम कराके वेतन दिया. हाईकोर्ट ने यह वसूली 90 दिन में करने के आदेश दिए है जिसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया है.

यह है पूरा मामला?

2012 में मध्यप्रदेश परिवहन विभाग ने आरक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. 2013 में भर्ती की गई जिसमें 45 आरक्षकों को महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित पद पर भर्ती किया गया. इनमें से 14 आरक्षकों ने 17 अक्टूबर 2023 को हाई कोर्ट में याचिका दायर की और नियमित नहीं करने का आरोप लगाया. याचिका में बताया गया कि अप्रैल-मई 2013 में उन्हें 2 साल की परिवीक्षा अवधि के लिए नियुक्त किया गया था. इसके बाद से लगातार उनका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है, लेकिन नियमित नहीं किया जा रहा. याचिका के लंबित रहने के दौरान 25 सितंबर 2024 को परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता ने इन परिवहन आरक्षकों को सेवा से पृथक करने का आदेश जारी किया तो आरक्षकों ने इस आदेश को भी याचिका के माध्यम से चुनौती दी.
 

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कोर्ट ने कहा था कि जनता की गाढ़ी कमाई का ये सीधा-सीधा दुरुपयोग है. मप्र के मुख्य सचिव वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी बनाएं जो ये पता लगाए कि आखिर किस अधिकारी के आदेश से इन परिवहन आरक्षकों को नौकरी करने की अनुमति दी गई. आरक्षकों को 10 साल से अधिक समय तक दिए गए वेतन की वसूली उक्त अधिकारी से की जाए. ये पूरी प्रक्रिया 90 दिन में पूरी करनी होगी. इस आदेश के बाद परिवहन मुख्यालय में हड़कंप मचा हुआ है. 

इन 14 आरक्षकों ने अप्रैल-मई 2013 से सिंतबर 2024 तक किया काम

  1. शिशिर रायकवार (सागर) 
  2. अजय सिंह दांगी (विदिशा) 
  3. कर्मवीर सिंह (छतरपुर)
  4. कुलदीप गुप्ता (भोपाल)
  5. महेंद्र कुमार (भोपाल)
  6. नितिन कुमार मिश्रा (सागर)
  7. जितेंद्र सिंह सेंगर (मंडला)
  8. शशांक द्विवेदी (पन्ना)
  9. सुमन सूर्यभान लोधी (शहडोल)
  10. रविंद्र मिश्रा (जबलपुर)
  11. रामसजीवन (शहडोल)
  12. रोहितकुमार दुबे (सिवनी)
  13. विकास पटेल (रीवा)
  14. मनीष खरे (छतरपुर)

हाई कोर्ट को बताया गया कि 10 साल से अधिक समय से सभी याची विभाग में काम कर रहे हैं. विभाग में परिवहन आरक्षकों के पद रिक्त हैं. ऐसे में उनका समायोजन किया जाए. वहीं दूसरी ओर मप्र शासन की ओर से बताया गया कि 27 जनवरी 2014 को ही हाई कोर्ट ने 45 आरक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ मप्र शासन सुप्रीम कोर्ट तक गया. लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली. ऐसे में याचियों को राहत नहीं दी जा सकती. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा- आरक्षक याचियों की नियुक्ति 2014 में ही निरस्त हो गई थी. मप्र शासन ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट तक में चुनौती दी लेकिन कोई राहत नहीं मिली. ऐसे में हाई कोर्ट अब इस केस में हस्तक्षेप नहीं कर सकता.

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