पहाड़ों की रानी! जिंदगी यहां धीमी और खूबसूरत, और हां...यहां आने का एक ही नियम- जाने की जल्दी मत कीजिए

Tourist places in Madhya Pradesh: पचमढ़ी की दास्तान पांडवों (Pandava Caves) से शुरू होती है, कहते हैं कि महाभारत के पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां कुछ समय रुके थे.ऐसे में यहां यह कहा जा सकता है कि आज के दौर में जहां लोग अपने कैमरे लेकर पहुंचते हैं, वहां कभी अर्जुन ध्यान लगाया करते थे.

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Pachmarhi hill station Madhya Pradesh

Pachmarhi Hill Station: अजब-गजब मध्य प्रदेश में एक ऐसा ठिकाना भी है, जो पहाड़ों की रानी कहलाता है? हां, यहां बात हो रही है पचमढ़ी (Pachmarhi) की – एक ऐसी जगह जहां सुबह की हवा में देवत्व है, झरनों की आवाज़ में सुकून है और हर मोड़ पर प्रकृति की चादर ओढ़े खूबसूरत वादियां दिखाई देती हैं.

पचमढ़ी की दास्तान पांडवों (Pandava Caves) से शुरू होती है, इसका नाम ‘पांच मढ़ी' यानी पांच गुफाओं से पड़ा है. कहते हैं कि महाभारत के पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां कुछ समय रुके थे. आज भी इसकी गवाही पांडव गुफाएं देती हैं, पत्थर की दीवारों पर नक्काशी, भीतर की ठंडक और गूंजती शांति आपको क्या अहसास कराएगी, ये तो वहां जाकर ही आप महसूस करेंगे, लेकिन एक बात तय है कि आपका यह हमेशा यादगार रहेगा. ऐसे में यहां यह कहा जा सकता है कि आज के दौर में जहां लोग अपने कैमरे लेकर पहुंचते हैं, वहां कभी अर्जुन ध्यान लगाया करते थे.

ब्रिटिश अफसर ने की इस स्वर्ग की खोज

इतिहास के अनुसार, 1857 में ब्रिटिश अफसर कैप्टन जेम्स फॉर्सिथ यहां पहुंचे और पहली बार इस जगह की खूबसूरती को दुनिया के सामने लाए. उन्होंने इसे 'सतपुड़ा की रानी (Queen of Satpura)' नाम दिया. पचमढ़ी में सिर्फ वादियां और झरने ही नहीं हैं, यहां ब्रिटिश दौर के चर्च और बंगले पुरानी वास्तुकला के जिंदा सबूत हैं. क्राइस्ट चर्च की हरी छत और रंगीन कांच की खिड़कियां गोथिक शैली को दर्शाती है.

झरनों का जादू और धूपगढ़ का सूरज

वैसे तो पचमढ़ी की हर चीज में जादू है, लेकिन अगर आपको पानी की आवाज़ सुकून देती है, तो यहां के मशहूर बी फॉल्स (Bee Falls) और सिल्वर फॉल्स (Silver Falls) आपका यह काम आसान कर देंगे। फिर जब आपका हरियाली से मन भर जाए और सूरज से दोस्ती करना चाहे तो धूपगढ़ (Dhoopgarh) आएं। यह मध्य भारत का सबसे ऊंचा व्यू पॉइंट (viewpoint) है। यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा सबसे करीब से दिखता है।

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भक्ति और रोमांच का गढ़ 

पचमढ़ी रोमांच ही नहीं भक्ति का भी गढ़ है. यह भगवान शिव की धरती है, जटाशंकर गुफा, महादेव मंदिर और चौरागढ़ यहां के सबसे पवित्र स्थल हैं. एक खास बात यह भी है कि चौरागढ़ पहुंचने के लिए करीब 1300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. लेकिन, ऊपर पहुंचने का वाद का नजारा आपकी सारी थकान मिटा देगा. पचमढ़ी सबका स्वागत करता है, यहां आप ट्रैकिंग कर सकते हैं, बर्ड वॉचिंग और ऑफ-रोडिंग का भी मजा ले सकते हैं. और अगर, कुछ समझ नहीं आ रहा है तो किसी व्यू पॉइंट पर बैठकर चाय की चुस्की भी ली जा सकती है. 

कब जाएं और कैसे पहुंचे?

सबसे ही समय: अक्टूबर से मार्च तक, जब मौसम न ज्यादा गर्म होता है और न ही ज्यादा ठंडा.

पहुंचने के आसान तरीका

  • रेल: पिपरिया स्टेशन 47 किमी दूरी पर स्थित पचमढ़ी के सबसे नजदीक है.
  • एयर: भोपाल एयरपोर्ट (200 किमी) निकटतम एयरपोर्ट है. यहां से सड़क या रेल मार्ग से सफर करना होगा.
  • सड़क: भोपाल, इंदौर, नागपुर और जबलपुर समेत अन्य जिलों से बसों और अन्य संसाधनों की सुविधा. 

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