How to Stop Online Gaming Addiction : ऑनलाइन गेम्स की खतरनाक लत बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है. ताज़ा मामला मुरैना जिले का है, जहां फ्री फायर गेम खेलने के आदी 17 साल के नाबालिग ने चार मंजिला इमारत से कूदकर अपनी जान दे दी. यह घटना सिर्फ एक दुखद हादसा नहीं है, बल्कि एक चिंताजनक सामाजिक समस्या है, जो बच्चों की मानसिकता और कई मासूम ज़िंदगियों पर गहरा असर डाल रही है. यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी किशोर ने ऑनलाइन गेम की लत के चलते अपनी जान गवां दी हो. देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन गेम्स बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, और उन्हें आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर रहे हैं.
इंटरनेट की दुनिया में मनोरंजन का साधन
डिजिटल ज़माने में एक तरफ जहां इंटरनेट का प्रसार तेजी से हो रहा है... तो वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन गेम्स का चलन भी बढ़ रहा है. यह मनोरंजन का एक साधन बन गया है, जिसमें लोग अपने खाली समय का आनंद उठाते हैं. लेकिन, हाल के वर्षों में ऑनलाइन गेम्स के दुषप्रभाव भी उभर कर सामने आने लगे हैं. ये ऑनलाइन गेम्स न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं, बल्कि कई मामलों में ये जानलेवा भी बन गए हैं.
अपने बच्चों के साथ बिताएं ज़्यादा वक़्त
देखा जाए तो आजकल तमाम बच्चे और किशोर ऑनलाइन गेम खेलते हुए दिखाई देते हैं. कई बच्चे ग्रुप बनाकर ऑनलाइन गेम खेलते हैं. इस दौरान गेम के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि कई बार आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं. मनोविज्ञान के जानकारों का मानना है कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं. क्योंकि बच्चों का अकेलापन और मां-बाप की अनदेखी उन्हें मोबाइल गेम्स की ओर धकेल रही है.
कैसे सुलझेगी ये चिंताजनक समस्या ?
मुरैना की इस दुखद घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक ऑनलाइन गेम्स की यह लत बच्चों की जान लेती रहेगी? क्या सरकार और समाज मिलकर इस गंभीर समस्या का कोई ठोस समाधान निकाल पाएंगे, या फिर ऐसे हादसे यूं ही होते रहेंगे ?
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