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15 साल में भी इंदौर नहीं बन पाया 'डॉग फ्री' शहर, नसबंदी प्रोग्राम चलाने के बावजूद नहीं कम हुए डॉग बाइट के मामले

Dog Bite in Indore: पिछले दिनों मध्य प्रदेश के बड़वानी में डॉग बाइट का दिल दहला देने वाला मामला सामने आने के बाद NDTV ने प्रदेश के शहरों में इसकी पड़ताल की. जिसमें सामने आया कि इतने साल से इंदौर में चल रहे नसबंदी कार्यक्रम के बावजूद अभी तक शहर डॉग फ्री नहीं बन पाया है.

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15 साल में भी इंदौर नहीं बन पाया 'डॉग फ्री' शहर, नसबंदी प्रोग्राम चलाने के बावजूद नहीं कम हुए डॉग बाइट के मामले
नसबंदी प्रोग्राम के बावजूद इंदौर में कुत्तों की संख्या कम नहीं हुई है.

Dog Bite Cases in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले (Barwani) में हाल ही में दो साल के मासूम पर कुत्तों के हमले के बाद उसकी मौत हो गई. इसी को लेकर NDTV ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर कुत्तों के इस आतंक को खत्म करने के लिए किस शहर में क्या इंतजाम किए जा रहे हैं? देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर (Indore) की बात करें तो इस शहर को डॉग फ्री शहर (Dog Free City) बनाने के लिए वैसे तो 2009 से ही काम चल रहा है. लेकिन, अभी तक कुत्तों की संख्या और डॉग बाइट के मामलों (Dog Bite Cases in Indore) में कमी नहीं आई है.

डॉग के नाम पर हो रहा गड़बड़झाला 

देश के सबसे साफ शहर इंदौर में कुत्तों या यूं कह लीजिए डॉग के नाम पर गड़बड़झाला हो रहा है. दरअसल, इंदौर नगर निगम द्वारा 2009 से ही शहर को डॉग मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए नगर निगम इंदौर द्वारा हर साल नसबंदी करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. फिर भी शहर में न तो कुत्तों की संख्या कम हुई और न ही डॉग बाइट के मामलों में कोई कमी आई. पिछले एक साल के आंकड़ों की बात करें तो साल भर में ही सरकारी अस्पताल में करीब 44 हजार लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे हैं.

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आंकड़ों के मुताबिक साल 2014-15 से अब तक नगर निगम 2 लाख से अधिक कुत्तों की नसबंदी करा चुका है. वहीं अब पेमेंट नहीं होने के चलते नसबंदी करने वाली संस्थाओं ने नसबंदी करना भी बंद कर दिया है. ऐसे में यह बड़ा सवाल पैदा होता है कि जब नसबंदी में गैप होगा तो कुत्तों की संख्या बढ़ना लाजमी है.

मुंबई की तर्ज पर शुरू हुआ नसबंदी प्रोग्राम

कुत्तों की नसबंदी का सफलतापूर्वक कार्य मुंबई में हो चुका है, इसी कारण आज मुंबई डॉग फ्री शहर माना जाता है. इसी को फॉलो करते हुए इंदौर नगर निगम ने भी नसबंदी पर काम शुरू किया और 2009 से शहर के कुत्तों की नसबंदी शुरू की. लेकिन, जब 2013 तक भी कोई परिणाम नहीं आया तो नगर निगम में विपक्ष के नेता रही फोजिया शेख अलीम ने 2013 में इस अभियान पर सवाल उठाए. उस वक्त पता चला कि नियम कायदों को ताक में रखकर नसबंदी का यह अभियान चलाया जा रहा है. इसके बाद कांग्रेस की पार्षद फोजिया ने हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की. जिसके बाद नियम अनुसार नसबंदी करने का ठेका दो कंपनियों को दिया गया.

कुत्तों की नसबंदी के नाम पर इंदौर में बड़ा घोटाला चल रहा है. शहर में स्वच्छता के नाम पर गायों को बाहर कर दिया गया, दूसरी तरफ कुत्तों के लिए नगर निगम कोई योजना नहीं बन पाई है. कुत्तों के लिए एक अलग से शेल्टर होम बनना चाहिए.

फोजिया शेख अलीम

पूर्व विपक्ष की नेता, इंदौर नगर निगम

बता दें कि इंदौर शहर में वर्ष 2014-15 से दो निजी कंपनियों को कुत्तों की नसबंदी का ठेका दिया गया है. दोनों कंपनियां मिलकर 20 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी प्रति वर्ष करती हैं. नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब तक 2 लाख से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है. जबकि करीब 50 हजार कुत्तों की नसबंदी होना बाकी है. इसके बाद भी अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक 44 हजार से ज्यादा लोग डॉग बाइट का शिकार हुए हैं, जो रेबीज का टीका लगवाने सरकारी टीकाकरण केंद्रों तक पहुंचे हैं.

एक सप्ताह से नसबंदी का काम बंद

जिले में 26 सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है. इतना सब होने के बाद भी इंदौर डॉग फ्री घोषित नहीं हो पाया है. यहां परेशानी वाली बात यह है कि पिछले एक सप्ताह से दोनों कंपनियों ने नसबंदी का काम भी बंद कर दिया है. ऐसे में इंदौर शहर में डॉग फ्री की सालों से चली आ रही मुहीम को धक्का लगा है.

कांग्रेस की पार्षद

इंदौर में दो कंपनियों द्वारा नसबंदी का प्रोग्राम चलाया जा रहा है.

कुत्तों के हिंसक होने की क्या है वजह?

इस पर पीपुल्स फॉर एनिमल की सदस्य प्रियांशु जैन का कहना है कि नसबंदी का प्रोग्राम बंद होने से डॉग की संख्या बढ़ेगी. उनके अनुसार कुत्तों के हिंसक होने की वजह यह भी है कि इंदौर नगर निगम ने स्वच्छता अभियान के चलते शहर से तमाम कचरे के कंटेनर हटा दिए हैं. अब अगर कुत्तों को हिंसक होने से बचाना है तो जिस क्षेत्र में भी कुत्ते हैं उन्हें भोजन कराया जाए. जिससे कि वे हिंसक होने से बच सकें. इसके साथ ही नसबंदी का प्रोग्राम भी जारी रखा जाए, जिससे उनकी संख्या में कमी आए.

वहीं इंदौर शहर में नसबंदी का प्रोग्राम देखने वाले नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉक्टर उत्तम यादव ने एनडीटीवी को बताया कि फंड की कमी के चलते अभी कुत्तों की नसबंदी के इमरजेंसी कार्य चल रहे हैं. डॉग फ्री को लेकर उन्होंने कहा एक कुत्ते की उम्र 10 से 12 वर्ष होती है. ऐसे में कुत्ते अपनी पूरी उम्र जीकर ही समाप्त होंगे.

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