
Abhyudaya Jain Case Murder Mystery In Guna : गुना से लेकर प्रदेश की राजधानी भोपाल तक अभ्युदय जैन केस को लेकर मर्डर मिस्ट्री चर्चा में रही. कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे. लेकिन SIT की जांच रिपोर्ट ने झूठे आरोपों से पर्दा उठा दिया. 14 साल के बेटे अभ्युदय की मां इस मामले को लेकर 58 दिनों तक जेल में बंद रहीं. लेकिन जब 11 बिंदुओं के आधार पर SIT ने जांच की तो वो निर्दोष साबित हुईं.बता दें, इस मामले पर अलका के पति ने SIT जांच की मांग की थी.
दरअसल, अभ्युदय जैन मर्डर मिस्ट्री में एक बार दोबारा यूटर्न आ गया. हाईप्रोफाइल मामले की दोबारा जांच की गई, जिसमें बड़ा खुलासा हुआ है. 14 साल के बेटे की हत्या के आरोप में पिछले 58 दिनों से जेल में बंद मां अलका जैन को बड़ी राहत मिली है.
SIT की जांच के बाद अब कई सवाल भी खड़े हो रहे
SIT की जांच में अलका जैन को निर्दोष पाया गया. SIT ने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से नई मेडिको लीगल रिपोर्ट मंगाई , जिसमें मौत की वजह "PARTIAL HANGING" यानी फांसी बताई गई. रिपोर्ट के आधार पर 8 वीं क्लास के छात्र अभ्युदय जैन ने घर के अंदर फांसी लगाकर आत्महत्या की थी. लेकिन SIT की जांच के बाद अब कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. पहले जिला अस्पताल में जो पीएम हुआ उसकी रिपोर्ट गलत थी. दूसरी बात जल्दबाजी में की गई पुलिस विवेचना के कारण मां
पुलिस ने 8 मार्च को अलका को गिरफ्तार कर लिया था
14 फरवरी को हुई अभ्युदय जैन की मौत ने मां बेटे के रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिए थे. पुलिस ने जितने सबूत जुटाए उसके आधार पर मां अलका जैन को ही बेटे की हत्या का दोषी माना गया. 22 फरवरी को FIR दर्ज करने के बाद पुलिस ने 8 मार्च को अलका को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन अलका के पति अनुपम जैन को भरोसा था कि उनकी पत्नी ने बेटे की हत्या नहीं की. पति ने प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली से लेकर पुलिस मुख्यालय भोपाल तक दरवाजा खटखटाया.
अनुपम जैन ने 11 बिंदुओं पर जांच की मांग की थी
अनुपम जैन ने 11 बिंदुओं पर जांच की मांग की थी, जिसके बाद ग्वालियर संभाग के DIG अमित सांघी के नेतृत्व में SIT गठित की गई.SIT ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की दोबारा जांच कराई,जिसके बाद डॉक्टर्स की टीम ने मौत की वजह को PARTIAL HANGING यानी फांसी माना.
- - कॉल डिटेल के आधार पर पता चला कि अलका लगातार फोन पर उपलब्ध थी. केवल 20 मिनट के अंतराल था जिसमें कॉल नहीं किया गया. इस दौरान हत्या करना मुमकिन नहीं था.
- - घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था ,चाबी भी टेबल पर रखी थी. इस दौरान कोई भी घर के अंदर नहीं गया था.
अलका के पति अनुपम जैन न्याय पाने के लिए लगातार कानून का दरवाजा खटखटा रहे थे. उन्हें शुरू से ही यकीन था कि मां उसके लाडले बेटे की हत्यारी नहीं हो सकती. दोनों के बीच बहुत अच्छे संबंध थे. SIT की 11 बिंदुओं की जांच के रिपोर्ट से अनुपम जैन को मानसिक राहत जरूर मिली है. लेकिन बेटे ने आखिर फांसी क्यों लगाई? ये सवाल अब भी अनसुलझा हुआ है. लेकिन अब पुलिस केस में खारिजी लगाने की तैयारी कर रही है.
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इस मामले में पुलिस खात्मा रिपोर्ट पेश करेगी
इस मामले में पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्टेंगुलेशन मार्क को देखते हुए पुलिस ने तात्कालिक परिस्थितियों के हिसाब से हत्या का केस दर्ज कर लिया था. लेकिन जब गांधी मेडिकल कॉलेज में दोबारा जांच की गई तो फांसी की बात निकलकर सामने आई है. इस मामले में पुलिस खात्मा रिपोर्ट पेश करेगी.
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