MP में 'बाबुओं' की गजब लापरवाही ! 231 हिंदू जोड़ों के सामूहिक विवाह में तैनात किए 10 मुस्लिम पुरोहित

Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana: नगर पालिका श्योपुर और जनपद पंचायत के द्वारा 231 जोड़ों का विवाह पंजीयन किया गया, सम्मेलन में विवाह सम्पन्न कराने के लिए विभाग द्वारा सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई, जिसमें 10 सरकारी शिक्षक मुसलमानो की भी ड्यूटी लगाई. उसके बाद क्या हुआ जानिए.

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Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana: श्योपुर में मच गया बवाल

Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana, Samuhik Vivah in Sheopur: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा है कि मनुष्य जन्म वर्षों के पुण्य का फल है और सनातन संस्कृति में प्रत्येक व्यक्ति को जीवनकाल में 16 संस्कारों से होकर गुजरना होता है. इसमें विवाह संस्कार सबसे बड़ा संस्कार है. अग्नि को साक्षी मानकर 7 फेरों के माध्यम से 7 जन्मों का संकल्प लिया जाता है. अक्षय तृतीया पर सीएम मोहन ने 6 जिलों में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलनों में शामिल नव दंपतियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग से शामिल होकर आशीर्वाद दिया. उन्होंने छिंदवाड़ा में 929, पन्ना में 915, आनंदधाम शिवपुरी में 80, इंदौर में 121, पंधानिया जिला धार में 80 एवं ग्राम नया गांव जिला हरदा में 80 नव दंपतियों के उज्जवल भविष्य की कामना की. वहीं श्योपुर में सामूहिक विवाह के दौरान हंगामा हो गया. आइए जानते हैं क्या है मामला?

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क्या हुआ?

अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत कराए गए सम्मेलन में नगर पालिका श्योपुर और जनपद पंचायत के द्वारा 231 जोड़ों का विवाह पंजीयन किया गया, सम्मेलन में विवाह सम्पन्न कराने के लिए विभाग द्वारा सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई, जिसमें 10 सरकारी शिक्षक मुसलमानो की भी ड्यूटी लगाई. विवाह वेदी पर पुरोहित का काम 10 मुसलमान शिक्षकों ने किया, ऐसे में सम्मेलन से कुछ जोड़े तो नाराज होकर बिना फेरे लिए ही लौट गए.

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इन जोड़ों ने बाद में दूसरे सम्मेलनों में जाकर सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह कर लिया, उन्होंने शादी की रस्में भी कराईं लेकिन उन्हें पता चला कि पुरोहित बनकर मुस्लिम शिक्षक शादी करा रहे हैं तो वे अन्य जरूरी औपचारिकता कर लौट गए.

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जिम्मेदारों का क्या कहना है?

हालांकि विभाग इस लापरवाही पर सफाई देते हुए कह रहे है कि हमने व्यवस्थाओं के तौर पर शिक्षकों ड्यूटी लगाई है. विवाह सम्पन्न कराने के लिए गायत्री परिवार के द्वारा विधि मंत्रोचारण से विवाह कराए गए है. हां ये सही है कि ड्यूटी लगाते समय आदेश में लिपिक ने त्रुटिवश व्यवस्था की जगह वेदी पुरोहित लिख दिया जिसके कारण लापरवाही हुई है.

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