Madhya Pradesh News Aaj Ki: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में पुलिस को 7 दिन के भीतर मामले की जांच के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने जबलपुर (Jabalpur) के गोहलपुर थाने की पुलिस को निर्देश दिया है कि धोखाधड़ी कर बैंक से पैसे निकालने की शिकायत पर प्रारंभिक जांच कर यह पता लगाएं कि अपराध संज्ञेय है या नहीं. जस्टिस राज मोहन सिंह (Justice Rajmohan Singh) की एकलपीठ की ओर से दिए गए आदेश में कहा गया है कि पुलिस (MP Police) यदि यह पाती है कि संज्ञेय अपराध बनता है, तो नियमानुसार कार्रवाई करे.
यह है मामला
जबलपुर निवासी रितेश तिवारी ने याचिका दायर कर बताया था किशोर रावत ने पनागर विधायक इंदु तिवारी के साथ चेक में फर्जीवाड़ा कर अवैधानिक तरीके से बैंक से 3.6 लाख रुपए का आहरण किया है. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में गोहलपुर पुलिस थाने में शिकायत की थी, जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो पुलिस अधीक्षक के सामने भी गुहार लगाई गई, लेकिन जब एसपी द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की गई तो पीड़ित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
जांच करने के निर्देश
याचिका में दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के नजीर के तहत पुलिस इस बात के लिए बाध्य है कि शिकायत पर प्रारंभिक जांच करें और यदि संज्ञेय अपराध बनता है, तो एफआईआर दर्ज करे. इसके बाद कोर्ट ने यह आदेश जारी किया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सौरभ शर्मा ने बताया है कि मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने धारा 154 (1) सीआरपीसी के तहत पुलिस को निर्देशित किया है कि पूरे मामले की विस्तृत जांच कर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए. इसके लिए अदालत ने 7 दिन की मोहलत पुलिस को दी है.
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गोहलपुर निवासी रीतेश तिवारी और किशोर रावत दोनों ही ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करते हैं. इस बीच स्विफ्ट डिजायर कार के बेचने से जुड़े एक मामले में 3,65,000 रुपए के चेक के जरिए भुगतान किया गया था, लेकिन आरोप है कि विधायक सुशील तिवारी इंदु के साथी किशोर रावत ने इसके पीछे फर्जी दस्तखत कर चेक की राशि अपने खाते में आहरित कर ली.
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