
Coldriff Syrup Death: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा 16 बच्चों की मौत के लिए ज़िम्मेदार बताए जा रहे'कोल्ड्रिफ' सिरप किसी दवा फैक्ट्री में नहीं. बल्कि एक 'ज़हरघर' में बना था. NDTV की जांच में सामने आया है कि जिस 'दवा' ने इन बच्चों की जान ली, वो किसी प्रमाणित दवा फैक्ट्री में नहीं, बल्कि ज़हर बनाने वाली एक अंधेरी जगह पर तैयार की जा रही थी.जहां घरेलू गैस चूल्हों पर केमिकल उबाले जा रहे थे. और बिना दस्ताने-मास्क के मजदूर मौत का सिरप घोल रहे थे. जांच में खुलासा हुआ कि कांचीपुरम की श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने इस सिरप को बनाने के लिए इंडस्ट्रियल ग्रेड केमिकल चेन्नई के स्थानीय डीलरों से नकद और जीपे से खरीदे. वो भी बिना किसी जांच या अनुमति के. जांच में और कौन-कौन सी चौंकाने वाली बातें सामने आईं पढ़िए इस रिपोर्ट में
हॉरर फिल्म जैसा था फैक्ट्री का नज़ारा
तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर की जो रिपोर्ट एनडीटीवी के हाथ लगी है वो बताती है फैक्ट्री के अंदर का नज़ारा किसी हॉरर फिल्म जैसा था। घरेलू गैस स्टोव पर केमिकल गर्म हो रहे थे, प्लास्टिक की पाइपों से झाग और अवशेष निकल रहे थे और बिना दस्ताने और मास्क के मजदूर केमिकल मिला रहे थे। न कोई प्रशिक्षित केमिस्ट, न कोई लैब और न ही किसी भी तरह का क्वालिटी टेस्ट। श्रीसन कंपनी ने चेन्नई की सनराइज बायोटेक और पांडिया केमिकल्स से प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल खरीदा, वो भी कैश या जीपे से ताकि कोई रिकॉर्ड न रहे.

चेन्नई में इसी दवा फैक्ट्री में तैयार हुआ था 'कोल्ड्रिफ' सिरप. जहां बदइंतजामी की इंतहा की जा रही थी.
पेंट और एंटीफ्रीज़ में इस्तेमाल होता है ये केमिकल
इस सिरप में पाया गया 48.6 प्रतिशत डाइएथिलीन ग्लाइकॉल वही रासायनिक जहर है जो पेंट और एंटीफ्रीज़ में इस्तेमाल होता है। यही ज़हर बच्चों की दवा बनकर उनके गले से नीचे उतरा और सीधे किडनी फेल कर गया. इलाज के नाम पर दी गई इस दवा ने 16 मासूमों की सांसें छीन लीं. NDTV की जांच में सामने आया कि ये मौतें किसी एक गलती का नतीजा नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की नाकामी थीं जहां लाइसेंसधारी दवा निर्माता इंडस्ट्रियल केमिकल से बच्चों की दवा बना रहे थे और देश का नियामक तंत्र बस तमाशा देख रहा था. हालांकि तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डायरेक्टरेट की 3 अक्टूबर 2025 की जांच रिपोर्ट ने पूरे खेल को उजागर कर दिया.मध्यप्रदेश की एफडीए की सूचना पर तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने 1 और 2 अक्टूबर को फैक्ट्री पर छापा मारा. अंदर जो मिला वह भयावह था जंग लगे उपकरण, गंदगी, खुली नालियां, दीवारों पर फफूंदी, कोई एयर फिल्टर नहीं, कोई लैब नहीं, कोई सुरक्षा सिस्टम नहीं। जांचकर्ताओं ने 39 गंभीर और 325 बड़ी खामियां दर्ज कीं.

श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी का मुख्य दरवाजा....जहां बच्चों के लिए 'मौत की दवा' तैयार की गई.
तय सीमा से 500 गुना ज्यादा थी मात्रा
कोल्ड्रिफ सिरप बैच SR-13 में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से 500 गुना ज्यादा थी. यह सिरप मई 2025 में बना था और अप्रैल 2027 तक वैध था. महीनों तक यह सिरप बाजार में बेखटके बिकता रहा जबकि फैक्ट्री में न शुद्ध पानी का सिस्टम था, न हवा के फिल्टर, न ही कीट नियंत्रण.पानी अज्ञात स्रोत से लाया जाता था, घरेलू गैस सिलिंडर से गर्म किया जाता था और मजदूर बिना किसी सुरक्षा के काम करते थे.इसी सिरप को छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में डॉक्टरों ने बच्चों को दिया.अगस्त-सितंबर के बीच एक-एक कर 16 बच्चों की जान चली गई, अधिकतर पांच साल से छोटे थे. मां-बाप समझ नहीं पाए कि जो दवा राहत देने के लिए दी गई थी, वही उनके बच्चों की जान ले लेगी.
पूरी व्यवस्था की विफलता है ये
जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया कि यह एक दुर्घटना नहीं बल्कि “पूरी व्यवस्था की विफलता” थी चेन्नई में घटिया केमिकल की खरीद से लेकर कांचीपुरम में बिना जांच के उत्पादन तक, और फिर मध्यप्रदेश में बिना रोकटोक वितरण तक। हर स्तर पर निगरानी तंत्र नाकाम रहा.तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी ने श्रीसन फार्मा के उत्पादन पर रोक लगा दी है, लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है और सभी स्टॉक फ्रीज कर दिए गए हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बच्चों की मौत को “बेहद दुखद” बताया और प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की, लेकिन उन माता-पिता के लिए कोई राहत उस जहर की बोतल से छीनी गई मासूम जान को वापस नहीं ला सकती. छिंदवाड़ा की एक छोटी सी बीमारी से शुरू हुई यह कहानी अब देश की दवा व्यवस्था की सड़ांध उजागर कर चुकी है. एक ऐसी फैक्ट्री जो मौत बेच रही थी, और एक सिस्टम जो आंखें मूंदे बैठा था.