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Eid ul Adha Date: 7 जून को देशभर में मनाई जाएगी बकरीद, माह-ए-जिलहिज्जा का नजर आया चांद

Eid ul Adha Eid Date, इमारत-ए-शरिया की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि बुधवार यानी 28 मई को माह-ए-जिलहिज्जा का चांद नजर आ गया है. इसके साथ ही बताया गया कि माह-ए-जिलहिज्जा की 10 तारीख यानी 7 जून को शनिवार के दिन देश भर में ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाएगा.

Eid ul Adha Date: 7 जून को देशभर में मनाई जाएगी बकरीद, माह-ए-जिलहिज्जा का नजर आया चांद

2025 Eid Ul Adha Date: माह-ए-जिलहिज्जा का चांद नजर भारत में बुधवार नजर आने के साथ ही ईद-उल-अजहा यानी बकरीद की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. इमारत-ए-शरिया की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि बुधवार यानी 28 मई को माह-ए-जिलहिज्जा का चांद नजर आ गया है. इसके साथ ही बताया गया कि माह-ए-जिलहिज्जा की 10 तारीख यानी 7 जून को शनिवार के दिन देश भर में ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाएगा.

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Photo Credit: NDTV

माह-ए-जिलहिज्जा हिजरी कैलेंडर का 12वां महीना है. इस महीने की 10 तारीख को ईद-उल अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाता है. इसी दिन सऊदी अरब के मक्का शहर में दुनियाभर से पहुंचे मुसलमान हज अदा करते हैं. वहीं, दुनिया भर में जो लोग हज पर नहीं जा पाते हैं. अपने-अपने इलाके में बकरीद की नमाज अदा करने के बाद पशुओं की कुर्बानी देते हैं.

पैगम्बर हजरत इब्राहीम से है इस त्योहार का संबंध

हज और ईद-उल-अजहा का त्योहार पैगम्बर हजरत इब्राहीम (PBUH), उनके बेटे हजरत इस्माइल  (PBUH) और हजरत इब्राहीम (PBUH) की पत्नी हजरत हाजरा की याद में मनाया जाता है. इन किए जाने जाने वाली सभी क्रिया इन तीनों की ओर से किए कार्यों का दोहराव है. दरअसल, हजरत इब्राहीम (PBUH) ने खाब में देखा था कि मैं सबसे अजीज चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान कर रहा है. लिहाजा, सुबह उठकर उन्होंने बुढ़ापे में पैदा हुए अपने सबसे अजीज बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने के लिए लेकर चले. और सऊदी अरब के मिला के मैदान में उन्हें जिहब करने लगे, लेकिन  तभी फरिश्ता हज़रत जिब्रईल एक दुम्बा (बकरी जैसा जानवर) लेकर आए और बोला कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कबूल कर ली है. लिहाजा, अब बेटे की जगह इसकी किरबानी दीजिए. इसके बाद उन्होंने उस जानकर की कुर्बानी दी. उनके इसी अमल की याद में कुर्बानी की जाती है. 

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गौरतलब है कि हजरत इब्राहीम (PBUH) को यहूदी, ईसाई और मुसलमान तीनों अपना पूर्वज मानते हैं. इन तीनों धर्म के मानने वालों में उनका विशेष स्थान है. सभी उनका आदर और सम्मान करते हैं. यही वजह है कि इन तीनों धर्मों को इब्राहीमी धर्म भी कहा जाता है. लेकिन, हज और कुर्बानी सिर्फ मुसलमान ही करते हैं, क्योंकि उनके दो पुत्र थे. हजरत मूसा  (PBUH) और हजरत ईसा  (PBUH) उनके बेटे इसहाक की नस्ल से हैं, जबकि पैगंबर मुहम्मद (PBUH) उनके दूसरे बेटे हजरत इस्माइल के वंशज है. कुर्बानी और हज की यादें पैगम्बर हजरत इब्राहीम (PBUH), उनके बेटे हजरत इस्माइल  (PBUH) और हजरत इब्राहीम (PBUH) की पत्नी हजरत हाजरा से जुड़ी हैं. लिहाजा, यहूदी और ईसाई इस पर अमल नहीं करते हैं.   

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