युक्तियुक्तकरण के खिलाफ राज्य के 23 शैक्षिक संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए मंत्रालय घेराव किया.
Protest against rationalization In Raipur : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लिए गए युक्तियुक्तकरण के फैसले के खिलाफ शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया. सर्व शिक्षक साझा मंच के बैनर तले राज्य के 23 शैक्षिक संगठनों ने बुधवार को जोरदार प्रदर्शन करते हुए मंत्रालय घेराव के लिए निकले. राजधानी रायपुर के तूता गांव में हजारों की संख्या में एकत्रित शिक्षकों ने सरकार के फैसले को जनविरोधी बताते हुए आंदोलन की शुरुआत की.
'44,000 शिक्षक के पद समाप्त हो जाएंगे'

शिक्षक नेताओं का कहना है कि युक्तियुक्तकरण के तहत राज्य के 10,463 स्कूलों का विलय किया जा रहा है, जिससे स्कूलों का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और लगभग 44,000 शिक्षक के पद समाप्त हो जाएंगे. इससे न केवल शिक्षकों की नियुक्ति और स्थानांतरण में समस्या उत्पन्न होगी, बल्कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा जाएगी.
शिक्षकों ने सरकार को अधिकारियों द्वारा गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह निर्णय ग्रामीण इलाकों के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. स्कूलों के बंद होने से न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी, बल्कि ग्रामीण जनता में आक्रोश भी फैलेगा.
शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा युक्तियुक्तकरण का विरोध नहीं है. 2008 के सेट को दरकिनार कर नए नियम के तहत युक्तियुक्तकरण किये जाने से 44 हजार पद खत्म हो जाएंगे. 2008 के सेट के अनुसार प्राइमरी स्कूल में 2 शिक्षक एक हेड मास्टर और मिडिल स्कूल में 4 शिक्षक एक हेडमास्टर का पद था. अब प्राइमरी और मिडिल स्कूल में एक एक शिक्षक कम किया जाना है और एक कैंपस में संचालित प्राइमरी मिडिल स्कूल के हेडमास्टर का पद खत्म कर प्रिंसिपल के अधीन करने से हजारों पद खत्म हो जाएंगे, जिसका शिक्षक संघ विरोध कर रहा है.
वहीं, सीएम विष्णु देव साय ने यूक्तियुक्तकरण को छात्रों के हित में बताते हुए कहा की शिक्षकों के कोई पद खत्म नहीं होंगे युक्तियुक्तकरण से जहाँ टीचर नहीं है वहाँ उनकी पूर्ति की जाएगी
शिक्षक संघ ने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया
शिक्षक संघ ने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि यदि निर्णय वापस नहीं लिया गया तो 31 मई से राजधानी तूता में संभागवार क्रमिक धरना शुरू किया जाएगा. यह आंदोलन पहले रायपुर, फिर दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर और अंत में सरगुजा तक पहुंचेगा.शिक्षा सचिव से हुई वार्ता विफल होने के बाद शिक्षक संघ ने साफ कर दिया है कि अब आंदोलन और तेज होगा और जब तक सरकार अपना निर्णय वापस नहीं लेती, संघर्ष जारी रहेगा.
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