गर्मी आते ही सोंधी खुशबू से महक उठा ये जिला, यहां के मिट्टी वाले सुराही-मटकों में क्या है ऐसा खास ?

Chandiya Nagar MP : इस बार बाजार में बालू और मिट्टी के मिश्रण से बने मटकों की ज्यादा डिमांड है. इन मटकों में छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिससे पानी थोड़ा-थोड़ा बाहर आता रहता है और मटका हमेशा गीला बना रहता है.

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गर्मी आते ही सोंधी खुशबू से महक उठा ये जिला, यहां के मिट्टी वाले सुराही-मटकों में क्या है ऐसा खास ?

MP News in Hindi : महीनों की ठंड के बाद अब गर्मी ने दस्तक दी है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भी कई ज़िलों में मौसम सुहाना हो उठा है. खबर उमरिया (Umariya) जिले से है जहां मंद-मंद गर्मी का आगाज होते ही बाज़ारों में देसी फ्रिज यानी कि सुराही-मटके आदि बिकने लगे हैं. इसे बनाने के काम में चंदिया नगर (Chandiya Nagar) के प्रजापति समाज भी जुटे हुए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां की सोंधी खुशबू की मिट्टी से बनने वाला सामान सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेश छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भी अपनी पहचान बनाए हुए है. प्रजापति समाज के कलाकारों ने बताया कि अब गर्मी कि शुरुआत हो चुकी है. हमारे पास ग्राहकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है... इसलिए पहले से ही हम गर्मी के सीजन के लिए सामान तैयार करने में जुट गए हैं.

कैसे बनते हैं मिट्टी के मटके?

चंदिया नगर के राम प्रसाद प्रजापति ने मटका बनाने की पूरी प्रक्रिया बताई. सबसे पहले मिट्टी को लाया जाता है और उसे पानी में भिगोकर नरम किया जाता है. फिर इसे अच्छी तरह छाना जाता है ताकि कोई कंकड़ या गंदगी न रहे. जब मिट्टी सही रूप से तैयार हो जाती है, तब उससे मटके, सुराहियां और अन्य मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं. इसके बाद इन्हें पकाने के लिए भट्टी में रखा जाता है. मटके तैयार होने के बाद इन्हें बाजारों में थोक रेट पर बेचा जाता है. इन मटकों की सप्लाई अंबिकापुर (Ambikapur), बिलासपुर (Bilaspur), रायपुर (Raipur), भोपाल (Bhopal) , इंदौर (Indore) और ग्वालियर (Gwalior) जैसी जगहों पर भी होती है.

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चंदिया की मिट्टी क्यों है खास?

मटका बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि चंदिया की मिट्टी की अपनी अलग पहचान है. ये मिट्टी सौंधी होती है और इससे बने मटकों में रखा पानी बहुत ठंडा रहता है. कारीगरों का दावा है कि इसमें रखा पानी बर्फ जैसा ठंडा लगता है और पीने में भी ज्यादा संतोषजनक होता है. इसके उलट, फ्रिज का ठंडा पानी से बार-बार प्यास लगती है. लेकिन मटके का पानी शरीर के लिए फायदेमंद होता है और प्राकृतिक रूप से ठंडा रहता है.

बाजार में बढ़ी मटकों की मांग

गर्मी बढ़ने के साथ ही उमरिया के बाजारों और सड़कों पर मिट्टी के मटके बिकने लगे हैं. कई व्यापारी और स्थानीय लोग इनकी बिक्री कर रहे हैं. कुछ मटकों पर चंदिया की सील भी लगी होती है, ताकि इनकी पहचान बनी रहे. हालांकि, अभी गर्मी ज्यादा नहीं है, इसलिए बिक्री धीमी है लेकिन मान कर चलिए जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, मटकों की मांग और भी बढ़ जाएगी.

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इस बार बाजार में बालू और मिट्टी के मिश्रण से बने मटकों की ज्यादा डिमांड है. इन मटकों में छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिससे पानी थोड़ा-थोड़ा बाहर आता रहता है और मटका हमेशा गीला बना रहता है. हवा के संपर्क में आने से यह प्राकृतिक रूप से ठंडा हो जाता है. यही कारण है कि लोग इन्हें खरीदना पसंद कर रहे हैं. गर्मी के दिनों में मिट्टी के मटकों की खास अहमियत होती है. ये पानी को ठंडा रखते हैं... इसे शुद्ध और स्वादिष्ट भी बनाते हैं. जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, उमरिया के बाजारों में इनकी बिक्री भी तेज हो जाएगी.

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