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This Article is From Jan 16, 2024

शिवपुरी: 3 महीने में 68 नवजात शिशुओं ने तोड़ा दम, सवालों के घेरे में सरकार के SNCU वार्ड

बीते 3 महीनों की बात करें तो शिवपुरी में 68 बच्चों को तमाम इंतजाम होने के बावजूद भी बचाया नहीं जा सका, जो कहीं ना कहीं इस तरह की यूनिट और शासन के दावों की कलई खोलता हुआ नजर आता है.

शिवपुरी: 3 महीने में 68 नवजात शिशुओं ने तोड़ा दम, सवालों के घेरे में सरकार के SNCU वार्ड
सवालों के घेरे में सरकार के SNCU वार्ड

Shivpuri News: मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग (MP Health Department) ने लगभग हर जिले में SNCU WARD (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) नवजात शिशु को बचाने के लिए एक अलग से यूनिट तैयार की है. खासतौर से उन बच्चों को बचाने के लिए जो समय से पहले जन्म ले लेते हैं. लेकिन आज ये यूनिट सवालों के घेरे में है क्योंकि अब तक 12 प्रतिशत से ज्यादा की मृत्यु दर सामने आ रही है. अकेले शिवपुरी (Shivpuri) जिले की बात करें तो जिला अस्पताल (District Hospital) में मौजूद SNCU वार्ड में पिछले 3 महीने में 68 बच्चों ने दम तोड़ दिया.

एनडीटीवी की टीम ने SNCU वार्ड में जाकर न केवल वार्ड का जायजा लिया बल्कि यहां बच्चों को मिलने वाले इलाज के संबंध में चिकित्सकों से जानकारी जुटाकर यह जानने की कोशिश भी की कि चिकित्सक किस तरह से काम करते हुए बच्चों की मृत्यु दर को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन जो आंकड़े सामने आए वे साफ तौर पर चौंकाने वाले हैं क्योंकि अकेले शिवपुरी जिले की इस SNCU वार्ड में भर्ती नवजात बच्चों की मृत्यु दर लगभग 12 प्रतिशत के आसपास दिखाई दी जो बरसों पहले हुआ करती थी. 

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पिछले 3 महीने में 68 बच्चों की मौत

बीते 3 महीनों की बात करें तो 68 बच्चों को तमाम इंतजाम होने के बावजूद भी बचाया नहीं जा सका, जो कहीं ना कहीं इस तरह की यूनिट और शासन के दावों की कलई खोलता हुआ नजर आता है. एसएनसीयू वार्ड के इंचार्ज डॉक्टर मंगल ने एनडीटीवी से बात करते हुए जानकारी दी कि पिछले 3 महीने में 68 बच्चों की मृत्यु हुई है. उन्होंने बताया कि अगर अक्टूबर की बात करें तो 17 बच्चों ने दम तोड़ा, नवंबर में 31 बच्चों ने दम तोड़ा और दिसंबर खत्म होते-होते 20 बच्चे संसार देखने से पहले ही चले गए.

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नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के आंकड़े में कोई सुधार नहीं

SNCU वार्ड संचालित करने के लिए सरकार लाखों रुपए खर्च करती है न केवल यहां मौजूद संसाधनों के ऊपर बल्कि 24 घंटे निगरानी के लिए लंबा चौड़ा स्टाफ भी रखा जाता है. सरकार दावे करती है कि उसने नवजात शिशुओं की खासतौर से उन बच्चों की मृत्यु दर पर लगाम लगाने में कामयाबी हासिल की है जो समय से पहले जन्म लेते हैं लेकिन शिवपुरी का आंकड़ा बताता है कि सरकार के दावों में कितनी सच्चाई है. आज से कुछ साल पहले की बात करें तब भी समय से पहले जन्मे बच्चों की मृत्यु दर का आंकड़ा 12 से 20 प्रतिशत के बीच में था और आज भी यह आंकड़ा 12 प्रतिशत के आसपास दर्ज किया जाता है. लगभग 68 बच्चे 3 महीने में दम तोड़ देते हैं लेकिन चिकित्सक इसे सामान्य बताते हैं.

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