
मध्य प्रदेश राज्य की स्थापना से भी पहले आगर मालवा जिले में शासकीय पशु प्रजनन केंद्र (Government Animal Breeding Center) की स्थापना की गई थी. इसे लगभग 69 वर्ष हो गए हैं. इस केंद्र में मालवी नस्ल की गाय की देखभाल की जाती है. यह केद्र मालवी नस्ल की गायों के संरक्षण और प्रजनन के लिए एक केंद्र स्थापित किया गया था. यह बहुत ही खूबसूरत मानी जाती है. साथ ही इसका व्यवहार काफी दोस्ताना होता है. आइए आपको बताते हैं इस गाय से जुड़े कुछ फैक्ट्स...
भारत में नस्ल की गायें हैं. इसके अलावा वो ऐसी हैं, जिनकी दूध की गुणवत्ता काफी काफी बेहतर और मात्रा भी बहुत मानी जाती है. इसी में से एक है मालवी नस्ल की गायल.
बहुत सुंदर होती है मालवी गाय
मालवी नस्ल की गाय की यह खासियत है कि ये दिखने में बेहद सुंदर होती है. कजरारी आंखे जैसे आंखों में काजल लगाया हुआ हो और चेहरे की बनावट ऐसी कि देखते ही बनती है. सुंदरता की ऐसी तस्वीर मालवी नस्ल की गाय में होती है, जैसी किसी ब्यूटी पार्लर में इन्हें मेकअप करके लाया गया हो. आम इंसान से इनका व्यवहार बहुत जल्दी दोस्ताना ही जाता है. थोड़ा सा सहलाने पर ये बिल्कुल ऐसे ही जाती है, जैसे परिवार की सदस्य हो.
जानें इस गाय से कुछ तथ्य
मालवी नस्ल की गाय काफी ऊंची होती है और इनका रंग सफेद व ग्रे होता है. इसके अलावा यह गाय लाल और काले रंग की भी दिख सकती है. इस गाय का कूबड़ भी पूरी तरह विकसित होता है. इसके सींग बाहर की ओर फैले हुए और पैने होते हैं. ये गायें 350 से 400 किलो तक की हो सकती हैं.
मालवी गाय की अगर अच्छे से देखभाल की जाए तो वो एक ब्यात में 900 से 1200 लीटर तक दूध दे सकती है. इसकी प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है यानी कि यह जल्दी बीमार नहीं होती है.
मालवी गाय को रोजाना 20 से 25 किलो हरा चारा खिलाना चाहिए. अगर यह दूध देती है तो ज्यादा. मालवी नस्ल की गाय 1 दिन में 5 से 12 लीटर तक दूध दे सकती है. यह गाय ए2 दूध देती है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है.
1956 में बना था यह केंद्र
मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में शासकीय पशु प्रजनन केंद्र (Government Animal Breeding Center) बना हुआ है. यहां बड़ा तालाब भी है. इसका शिलान्यास 13 जून 1956 को मध्यभारत के मुख्यमंत्री तख्तमल जैन ने किया था. इस केंद्र को मालवी नस्ल सांड उत्पादन और गौवंश को बचाने की नीयत से बनाया गया था.