
Maharishi Valmiki Jayanti 2025: आज 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती है. महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के कितने बड़े आधार हैं. ये महर्षि वाल्मीकि ही थे, जिन्होंने हमें भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित करवाया था. उन्होंने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया. महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ हैं. उन्होंने रामायण जैसे महान ग्रंथ के माध्यम से भगवान राम की कथाओं को जन-जन तक पहुंचाया. आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महर्षि वाल्मीकि जयंती पर श्रद्धालु नागरिकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि का जीवन दृढ़ इच्छाशक्ति और मानवता की क्रूरता पर विजय का प्रतीक है. वे अद्वितीय विद्वान ऋषि एवं सहृदय कवि थे, जिन्होंने भारतीय समाज में पूजनीय स्थान अर्जित किया.
'राम' नाम का जप करने की प्रेरणा दी : सीएम मोहन यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सभ्यता, धर्म एवं आध्यात्म का अद्वितीय समन्वय भारत के अतिरिक्त और कहीं नहीं मिलता. यही कारण है कि 'विश्व गुरु' की उपाधि से सम्मानित भारत, सनातन धर्म की महानता का दिव्य प्रतीक है. महर्षि वाल्मीकि महिमामयी भारतीय सनातन परंपरा के प्रणेता, प्रहरी, प्रचारक ऋषि भारतीय संस्कृति के गौरव हैं. महर्षि वाल्मीकि के जीवन में परिवर्तन की शुरुआत तब हुई, जब उनकी भेंट महान ऋषि नारद से हुई. नारद जी ने उन्हें 'राम' नाम का जप करने की प्रेरणा दी.
ऐसे मिला था महर्षि पद
हिंदू मान्यता के अनुसार यह भगवान राम के जीवन की सबसे प्रमाणिक गाथा है. महर्षि वाल्मीकि के बचपन का नाम रत्नाकर था और लूटपाट करके अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे लेकिन देवर्षि नारद से मिले ज्ञान के बाद उनका जीवन बदल गया और उन्होंने अपने तपबल से महर्षि का पद प्राप्त किया.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने बोध कराया कि जीवन को समझने की सबसे सुंदर यात्रा है रामायण का श्रवण करना. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से यह दिखाया कि सच्चा धर्म सबको साथ लेकर चलता है क्योंकि इसमें करुणा, न्याय और समर्पण शामिल होता है. उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन के माध्यम से मानव समाज को मर्यादा, परिवार, समाज और कर्तव्य के महत्व का बोध कराया. महर्षि वाल्मीकि ने यह संदेश दिया कि यदि मनुष्य सच्चे मन से प्रयत्न करे, तो अंधकार से भी प्रकाश की राह बनाई जा सकती है. यही कारण है कि उन्हें आदिकवि कहा गया.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि हमारे लिए केवल एक ऐतिहासिक या धार्मिक व्यक्तित्व ही नहीं, वे उस चेतना के प्रतीक हैं जो हर मनुष्य के भीतर मौजूद है. जब तक हम उनके आदर्शों को जीवन में उतारते रहेंगे, समाज आगे बढ़ता रहेगा और मानवता की यह ज्योति जलती रहेगी.
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