MP News: रीवा में धारा 144 लागू, रात 10 से सुबह 6 बजे तक नहीं बजेंगे डीजे और लाउडस्पीकर, जानिए क्या है नियम

MP Latest News: ध्वनि विस्तार यंत्रों के कारण ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. शोर का स्तर 70 डेसीबल से अधिक होने के कारण बीपी, बेचैनी, मानसिक तनाव और अनिद्रा जैसे दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं. सरकार के फैसले के बाद मध्यप्रदेश (MadhyaPradesh)के जिलों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर रोक लगनी शुरू हो गई है. रीवा कलेक्टर ने भी इसके लिए आदेश जारी कर दिया है.

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Madhya Pradesh today news: रीवा (Rewa) में धारा 144 लागू कर दी गई है. इसके तहत रात 10  बजे से सुबह 6 बजे तक सभी ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर रोक लगा दी गई है. नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी. कलेक्टर प्रतिभा पाल ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है. 

18  फ़रवरी तक रोक 

दरअसल, मध्यप्रदेश में मोहन सरकार  बनने के बाद डीजे (DJ) और लाउडस्पीकर (Loudspeaker) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अगर यह बजाना भी है, तो इसके लिए पहले अनुमति लेनी पड़ेगी. सरकार के इस फैसले पर प्रदेश के जिलों में भी अमल होने लगा है. रीवा कलेक्टर ने भी इसके लिए आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने कहा है कि रीवा जिले में सभी उत्सव तथा आयोजनों में लाउडस्पीकर, डीजे, बैण्ड, प्रेशर हॉर्न तथा अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध के आदेश दिए हैं. 18 फरवरी 2024 तक इसकी रोक रहेगी.  

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इनसे लेनी होगी अनुमति 

रीवा कलेक्टर ने जारी आदेश में कहा है कि SDM की अनुमति के बाद ही उनका उपयोग किया जा सकेगा.  प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ धारा 188 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. संचार माध्यमों से आम जनता को प्रतिबंधों की सूचना दी जा रही है. 

डीजे-लाउडस्पीकर के नुकसान 

ध्वनि विस्तार यंत्रों लाउडस्पीकर, डीजे, बैण्ड, प्रेशर हॉर्न, पटाखे आदि के कारण ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. अधिक शोर से मनुष्य के काम करने की क्षमता, आराम, नींद और संवाद में व्यवधान पड़ता है. शोर का स्तर 70 डेसीबल से अधिक होने के कारण उच्च रक्तचाप, बेचैनी, मानसिक तनाव और अनिद्रा जैसे दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं. 

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साल 2019 को मिले थे निर्देश

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली ने 21 जून 2019 को मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक्शन प्लान बनाने और लागू करने के निर्देश दिए थे. अब इसके पालन के लिए धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाए गए हैं. 

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