Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट (Balaghat) में मिट्टी के बर्तनों का अनूठा क्लेकशन दिख रहा है. यहां जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूर कटंगी जनपद के कटेरा गांव के पिता-पुत्र की जोड़ी ने मिट्टी के कई तरह के बर्तन बनाए हैं, जिनसे स्वास्थ्य, पर्यावरण को बचाने में काफी मदद मिलने की उम्मीद है. इन दोनों पिता- पुत्र की जोड़ी ने मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को अनूठे तरीके से विकसित किया है. इन बर्तनों से लोगों को काफी फायदा होने की उम्मीद है. इन बर्तनों में बनने वाले खाने का स्वाद भी काफी लाजवाब होता है.
मिट्टी के बर्तन सेहत के लिए भी हैं फायदेमंद
पिता -पुत्र की जोड़ी ने आधुनिक समाज में धातुओं से बनने वाले बर्तनों की जगह मिट्टी के बर्तन अपनाने का अच्छा विकल्प दिया है. कटेरा के मुरलीधर टरंडे 5 पीढ़ियों से मिट्टी से मटके और बर्तन बनाते चले आ रहे हैं, लेकिन पिछले 7 से 8 साल से उनके बेटे हितेश भी अपने पैतृक काम में रुचि दिखाई और इस काम को नए अंजाम तक ले गए. हितेश के तकनीकी ज्ञान को पिता के अनुभव का साथ मिला और मिट्टी के बर्तनों का अद्भुत संसार तैयार हो गया.
पिता पुत्र दोनों ने मिलकक करीब 100 तरह के मिट्टी के बर्तन बनाएं हैं. इसमें धार्मिक मूर्तियां भी शामिल है. जब उन्हें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से 5 लाख रुपये का लोन मिला तो उन्होंने अपनी कला को लघु उद्योग का रूप दे दिया. इन दोनों ने मिलकर मिट्टी के हेंडल वाला कूकर भी बनाया है. इनके कूकर को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं.
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100 प्रकार के घरेलू बर्तन और आकर्षक मूर्तियां बनाने में हैं माहिर
हितेश ने बताया कि बर्तन बनाने में वो साडू नामक मिट्टी, नार्मल और पत्थर रेत वाली मिट्टी का उपयोग करते हैं. इस तरह से ये दोनों100 से अधिक प्रकार के बर्तन और मूर्तियां बना रहे हैं. इसमें अभी फ्रॉय पेन भी बनाया गया है. कूकर के अलावा आपको कढ़ाई, तवा, जग, गिलास, चाय के लिए कप, केतली, थाली, वॉटर जग, पानी की टंकी, पानी की बोतल भी ये दोनों पिछले सात आठ साल से बना रहे हैं. इन बर्तनों में खाना बनाने और खाने से गैस, अपच जैसी समस्या से छुटकारा मिलेगा.