MP Assembly News: विधानसभा के गठन की 69वीं वर्षगांठ के मौके पर बुधवार को सदन में एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया. इस विशेष सत्र में सरकार ने राज्य के दीर्घकालिक विकास को लेकर ‘विकसित मध्य प्रदेश @2047' विजन डॉक्यूमेंट सदन के पटल पर रखा. सरकार का दावा है कि यह दस्तावेज़ आने वाले 25 वर्षों में मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर, समृद्ध और विकसित राज्य बनाने की दिशा तय करेगा.
सत्र की शुरुआत में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक जब देश आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब मध्य प्रदेश भी विकास के नए मानकों को छुए. इसी सोच के साथ यह विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है. सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, कृषि, रोजगार, बुनियादी ढांचे और निवेश जैसे क्षेत्रों को विकास की प्राथमिक धुरी बताया.
नीति और योजनाओं का बनेगा आधार
सत्र के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों व मंत्रियों ने विजन डॉक्यूमेंट का समर्थन करते हुए इसे भविष्य की दिशा तय करने वाला दस्तावेज़ बताया. इस दौरान मंत्री विश्वास सारंग और नरेंद्र शिवाजी पटेल ने दावा किया कि यह विजन डॉक्यूमेंट सार्वजनिक सुझावों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से आगे और परिष्कृत किया जाएगा और आने वाले समय में इसे नीति और योजनाओं का आधार बनाया जाएगा.
कांग्रेस ने इस बात पर जताई नाराजगी
दूसरी तरफ़ कांग्रेस आज के इस सत्र से ना ख़ुश नज़र आई. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने केवल घोषणात्मक विजन पेश किया है, लेकिन अगले 20–25 वर्षों के लिए ठोस रोडमैप, समयबद्ध लक्ष्य और ज़मीनी कार्ययोजना पर कोई गंभीर चर्चा नहीं की गई. पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह ने कहा कि सरकार को आने वाले सालों का विजन पेश करना था, लेकिन दो सालों के कथित उपलब्धियों को ही गिनती रह गई.
कुल मिलाकर, विधानसभा का विशेष सत्र भविष्य की रूपरेखा पर केंद्रित रहा, लेकिन 2047 के विजन को लेकर सदन में सहमति से ज़्यादा टकराव देखने को मिला. सरकार इसे विकास की दिशा बता रही है, तो विपक्ष इसे खाली खाका करार दे रहा है.
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