MP High Court Decision In Sucide Case: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए महिला डॉक्टर और उनकी मां को बड़ा झटका दिया है. याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि दुष्कर्म (Rape) की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देने का रवैया भी आत्महत्या (Sucide) दुष्प्रेरण की श्रेणी में आता है. न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने महिला चिकित्सक और उसकी मां के खिलाफ की गई FIR को भी निरस्त करने से इंकार कर दिया है. पूरा मामला एक युवक को आत्महत्या करने के लिए उकसाने से जुड़ा हुआ है.
ये है पूरा मामला
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि चंद्रशेखर उर्फ पवन आहूजा और उसकी मां का नाली में कचरा फेंकने के कारण विवाद था. पड़ोसियों ने युवक व उसकी मां के विरुद्ध बालाघाट के कोतवाली थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाया था. युवक मकान गिरवी रखकर PSC की तैयारी के लिए इंदौर चला गया था. मानसिक तनाव के कारण उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था. वह बालाघाट आया तो पड़ोस में रहने वाली आवेदक महिला डॉक्टर ने Rape और छेड़छाड़ की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाने की धमकी दी थी. युवक अपने पिता के साथ अक्टूबर में जिला मंडला स्थित बम्हनी बंजर चला गया था. इस दौरान पड़ोसियों से उसकी मां का विवाद हुआ था. जिसके बाद वह बालाघाट वापस आया तो उसे फिर झूठे आरोप में फंसाने की धमकी दी गई थी.
ये भी पढ़ें RCB vs CSK: बेंगलुरु और चेन्नई के बीच आज होगी भिडंत, जानें मैच प्रेडिक्शन, पिच रिपोर्ट और प्लेइंग इलेवन
FIR निरस्त करने की थी मांग
बालाघाट की रहने वाली महिला डॉक्टर और उसकी मां ने मंडला जिले के बम्हनी थाने में आत्महत्या दुष्प्रेरण की धारा के तहत दर्ज प्रकरण को निरस्त किए जाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि मृतक युवक की मां कालोनी में आतंक मचाती थी. मां और बेटे के खिलाफ कालोनी में रहने वाले कई लोगों ने पुलिस में प्रकरण भी शिकायत दर्ज कराई थी.