मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हड़ताल पर जाने वाली आंगनवाड़ी पर लगाया जुर्माना, दिए बहाली के आदेश

अदालत ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को मिलने वाले निम्न वेतन को ध्यान में रखते हुए केवल मानवीय और सहानुभूति के आधार पर  बहाल किया जा रहा है.

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कोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पक्ष में दिया फैसला

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने हड़ताल पर जाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर उनकी सशर्त बहाली के निर्देश दिए हैं. जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि जुर्माने की उक्त राशि से वह आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए खिलौने और गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों के लिए प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ खरीदकर वितरित कराए. कोर्ट ने याचिकाकर्ता विमला गोयल को एक माह के भीतर उक्त राशि कलेक्टर के पास जमा कराने के निर्देश दिए हैं.

मानवीय सहानुभूति का फैसले में जिक्र

अदालत ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को मिलने वाले निम्न वेतन को ध्यान में रखते हुए केवल मानवीय और सहानुभूति के आधार पर  बहाल किया जा रहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को एक अंतिम अवसर दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में वह दोबारा गलती नहीं करे.

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जानिए क्या था पूरा मामला

डिंडोरी निवासी विमला गोयल की ओर से अधिवक्ता परितोष त्रिवेदी ने अदालत में पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता आंगनबाड़ी केंद्र सेनगुड़ा सेक्टर परसेल जिला डिंडोरी में पदस्थ है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एसोसिएशन के आह्वान पर कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए थे. इस कारण परियोजना अधिकारी ने याचिकाकर्ता की सेवाएं समाप्त कर दी थीं. अधिवक्ता त्रिवेदी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता निम्न वेतन की कर्मचारी है, चूंकि पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की हड़ताल हुई थी अतः उसे भी संगठन के दबाव में हड़ताल में जाना पड़ा था. हालांकि कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत बिना सूचना के हड़ताल पर जाना या नौकरी से अनुपस्थित रहना अवैधानिक है.

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