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MP Congress: कांग्रेस अब भाजपा की तर्ज पर कार्यकर्ताओं को करेगी प्रशिक्षित, नवनियुक्त ज़िला अध्यक्ष को दी जाएगी ये सीख

Congress District Presidents Traning Camp: कांग्रेस अब जिला अध्यक्षों को भाजपा की तर्ज़ पर प्रशिक्षित कर संगठन को मज़बूत बनाने का दावा कर रही है, लेकिन हक़ीक़त ये है कि कांग्रेस में गुटबाज़ी और नाराज़गी थमने का नाम नहीं ले रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि दस दिन का ये प्रशिक्षण कांग्रेस को नई दिशा देगा, या फिर एक बार फिर ये प्रयास भी नेताओं की आपसी खींचतान और गुटबाज़ी की भेंट चढ़ जाएगी.

MP Congress: कांग्रेस अब भाजपा की तर्ज पर कार्यकर्ताओं को करेगी प्रशिक्षित, नवनियुक्त ज़िला अध्यक्ष को दी जाएगी ये सीख
कांग्रेस अब भाजपा की तर्ज पर कार्यकर्ताओं को करेगी प्रशिक्षित.

Congress District Presidents: मध्य प्रदेश में ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद कांग्रेस अब उन्हें बीजेपी की तर्ज़ पर प्रशिक्षण देने जा रही है. पार्टी को उम्मीद है कि प्रशिक्षित ज़िला अध्यक्ष संगठन को मज़बूत करने में मददगार साबित होंगे. हालांकि, हक़ीक़त ये है कि नियुक्तियों के बाद कई जिलों में विरोध के स्वर भी मुखर है. इसके अलावा, गुटबाज़ी भी सामने आ रही है.

पहले भी लग चुकी है क्लास

दरअसल, दिल्ली में हुए पहले प्रशिक्षण में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और वरिष्ठ नेताओं ने उनकी भूमिका समझाई थी. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस अनुशासन सिखा पाएगी, या फिर वही पुराना गुटबाज़ी का पाठ दोहराया जाएगा?

 प्रशिक्षण शिविर में इन पहलुओं पर होगा जोर

कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में बवाल के बाद अब कांग्रेस पार्टी ने जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के लिए दस दिन का प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की तैयारी कर ली है. मध्य प्रदेश में पहली बार कांग्रेस इस तरह जिलाध्यक्षों को प्रशिक्षित करेगी. पहली बार होने जा रहे इस कैंप में संगठन, अनुशासन और कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल बिठाने जैसे पहलुओं पर ज़ोर रहेगा.

प्रशिक्षण शिविर में सिखाए जाएंगे ये गुर

  • राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी वर्चुअली जुड़ सकते हैं.
  • प्रशिक्षण शिविर में सबको साथ लेकर चलने का पाठ पढ़ाया जाएगा.
  • कार्यकर्ताओं से व्यवहार, सार्वजनिक आचरण, भाषा शैली बताई जाएगी.
  • मुद्दों की पहचान, जनता से संपर्क, मीडिया मैनेजमेंट के गुर सिखाए जाएंगे.
  • इसके बाद हर तीन महीने में जिला अध्यक्षों के कामकाज का आकलन किया जाएगा

10 दिन तक चलेगा प्रशिक्षण शिविर

इस पूरे मामले पर प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस जीतू पटवारी ने कहा कि जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति, संगठन के सृजन की व्यवस्था, पंचायत कांग्रेस का गठन यह हमारे काम करने की प्रक्रिया का हिस्सा है. यह हमारा इंटरनल मामला है. प्रशिक्षण किसी भी विधा को आधुनिक तरह से जीने और सीखने का विषय होता है. इसकी पूरी प्रोग्रामिंग सितंबर के अंत तक 10 दिन के लिए बनी है. इस दौरान, जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.

अभी ऐसा है भाजपा और कांग्रेस के काम करने का तरीका

दरअसल, भाजपा का फॉर्मूला सीधा है कि पहले संगठन और नेता बाद में. भाजपा में कार्यकर्ता ही असली ताक़त माने जाते हैं, नेता सिर्फ चेहरा होता है, उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, वो उसे पूरी मेहनत और निष्ठा से निभाता है. नतीजन पार्टी को संगठन से लेकर चुनाव तक हर जगह फ़ायदा मिलता है, लेकिन कांग्रेस में कहानी उलटी है. यहां संगठन से पहले नेता आते हैं और नेता के आगे कार्यकर्ता हाशिए पर चले जाते हैं. ज़िला हो या ब्लॉक हर जगह पद नेताओं की ज़िद और सिफारिशों से बांटने के आरोप कई बार लग चुके हैं. जब नेताओं को टिकट नहीं मिलता है, तो कार्यकर्ता भी मैदान छोड़कर घर बैठ जाते हैं. बीते विधानसभा और लोकसभा चुनाव इसका सबसे बड़ा सबूत हैं, जहां गुटबाजी, नाराज़गी और भगदड़ के चलते बड़े पैमाने पर नेता और कार्यकर्ता पार्टी से ही किनारा हो गए थे.

प्रशिक्षण पर बीजेपी ने कसा तंज़

कांग्रेस के ज़िला अध्यक्षों के प्रशिक्षण पर बीजेपी ने करारा तंज़ कसा है. भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कांग्रेस में तो हालत ऐसी है कि नेता एक-दूसरे के कपड़े फाड़ने और गिफ्ट बांटने में लगे हैं. लिहाजा, प्रशिक्षण में किसने किसको क्या गिफ्ट दिया यह बताया जाएगा. प्रशिक्षण में कांग्रेस जिला अध्यक्ष को क्या बताया जाएगा. लोकतंत्र को कांग्रेस के नेता नष्ट कर रहे हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि प्रशिक्षण शिविर में कांग्रेस वाले क्या ये बताएंगे कि कांग्रेस 20-25 साल ऐसी हालत में रहे और प्रशिक्षण लेती रहे.

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अनुशासन और संगठन का पाठ पढ़ाना यह सुनने में जरूर अच्छा लगता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या दस दिन की क्लास में गुटबाज़ी का आरोप खत्म होगा ? क्या कांग्रेस नेताओं को ये समझा पाएगी कि संगठन नेता से बड़ा होता है, क्योंकि हाल ही में संगठन सृजन अभियान के तहत हुई जिलाध्यक्षों कि नियुक्ति के बाद विवाद और आरोपों से ये सवाल फिर खड़ा होने लगा है.

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