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MP News: 'कोई भी राजा बनें, हमें क्या फर्क पड़ता है', लोकसभा चुनाव से पहले यहां 30 से 40% लोग कर गए पलायन

Bundelkhand: बुंदेलखंड का जब नाम सामने आता है, तब एक तस्वीर आंखों में उभर आती है. वो तस्वीर है यहां से पलायन करने वाले हजारों लोगों की. जो परिवारों के साथ काम धंधों की तलाश में हर साल घर छोड़ने पर मजबूर होते हैं. बीते सालों में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन बुंदेलखंड में बढ़ते पलायन को नहीं रोका जा सका. दरअसल, पर्यटन को बढ़ावा देने, जी-20 समिट जैसे आयोजन तो हुए, लेकिन विकास का वो खाका नहीं खींच पाया, जिसकी उम्मीद सालों से लोगों के मन में है.

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MP News: 'कोई भी राजा बनें, हमें क्या फर्क पड़ता है', लोकसभा चुनाव से पहले यहां 30 से 40% लोग कर गए पलायन

Bundelkhand News: कहते हैं कि जब भगवान राम (Lord Rama) के राजतिलक की तैयारियां धूमधाम से हो रही थी, तब पूरे राजमहल में चहल पहल की धूम थी, लेकिन इस बीच एक दासी उदास बैठी थी. उससे जब किसी ने पूछा कि तुम कार्यक्रम में भाग क्यों नहीं ले रही हो? आज के दिन भी तुम्हारे मन में उत्साह और उमंग क्यों नहीं है? तो इसके जवाब में अनमने ढंग से उस दासी ने कहा था कि ' कोउ नृप होय, हमै का हानी. चेरि छांड़ि न त , होबै रानी. यानी कोई भी राजा बनें, मुझे क्या फर्क पड़ता है ? मेरे हिस्से में तो गुलामी ही आनी है. आज इस राजा की नौकरानी हूं, कल नए राजा की नौकरानी कहलाऊंगी. आज यही हालत मध्य प्रदेश के सूखाग्रस्त और राजनीतिक उपेक्षा के शिकार बुंदेलखंड (Bundelkhand) के लोगों की है. पूरे देश में चुनावी बिगुल बचा हुआ. जगह-जगह चुनाव प्रचार की धूम है. इस बीच यहां के लोग चुनाव की परवाह किए बिना रोजी-रोटी की तलाश के लिए अपने घरों में ताला लगाकर दूसरे राज्यों के लिए पलायन कर रहे हैं.

बुंदेलखंड का जब नाम सामने आता है, तब एक तस्वीर आंखों में उभर आती है. वो तस्वीर है यहां से पलायन करने वाले हजारों लोगों की. जो परिवारों के साथ काम धंधों की तलाश में हर साल घर छोड़ने पर मजबूर होते हैं. बीते सालों में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन बुंदेलखंड में बढ़ते पलायन को नहीं रोका जा सका. दरअसल, पर्यटन को बढ़ावा देने, जी-20 समिट जैसे आयोजन तो हुए, लेकिन विकास का वो खाका नहीं खींच पाया, जिसकी उम्मीद सालों से लोगों के मन में है.

30 से 40 फीसद तक लोग छोड़ चुके हैं गांव

बुंदेलखंड में छतरपुर सहित पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, निवाड़ी सहित आधा दर्जन जिले ऐसे हैं, जिनके गांवों में 25 से 30 फीसद परिवारों के लोग पलायन कर घर छोड़ गए हैं. लिहाजा, इस वक्त भी उनके घरों में ताले लटके हुए हैं. कुछ गांव तो ऐसे हैं, जहां पलायन का आंकड़ा 30 से 40 फीसद तक जा पहुंचा है.

कहने को तो छतरपुर जिले से ताल्लुक रखने वाले खजुराहो, टीकमगढ़ और दमोह क्षेत्र के करीब पचास लाख मतदाता जुड़े हैं, लेकिन इन मतदाताओं में हजारों लोग दिल्ली, बेंगलुरु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों के बड़े शहरों में मजदूरी कर रहे हैं. ऐसे लोगों को मतदान केंद्र तक लाना जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा. बुंदेलखंड में जो लोग पलायन कर गए हैं, उनको मतदान कराने के लिए बूथ तक लाने की तैयारी में संघ के प्रचारक और सेवाभावी जुट गए हैं. मतदाताओं को बूथ तक लाने के लिए उनको एक टास्क की तरह काम दिया गया है.

विधानसभा चुनाव में रंग लाई थी कलेक्टर की पहल

विधानसभा चुनाव दीपावली के समय में था. इसलिए अधिकतर लोग जो पलायन कर गए थे, वह जब घर लौटे, तो इन लोगों ने मतदान में भी हिस्सा लिया था. इधर कलेक्टर संदीप जीआर ने भी बाहर नौकरी कर रहे युवाओं और पलायन कर गए मजदूरों को मतदान के लिए बुलाने की पहल की थी. उन्होंने एक विशेष टीम बनाई थी, जो पलायन करने वालों को वन टू वन कॉन्टेक्ट करके बुलाने का काम किया था. जिले से लेकर पंचायत तक यह काम उन्होंने कराया. इसका असर भी दिखा था, जो युवा बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई आदि शहरों में नौकरी कर रहे थे. वह मतदान करने के लिए अपने गांव पहुंच गए थे.

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लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा मतदान हो, इसे लेकर जिला प्रशासन ने विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव के लिए भी मतदाताओं को बुलाने की खास तैयारी की है. इसके लिए वाट्स एप समूह बनाए गए हैं. साथ ही अलग-अलग टीमें स्वीप के माध्यम से लगाई गई है. इन समूहों के सहयोग से उन लोगों को मतदान के लिए बुलाया जा रहा है, जो जिले से बाहर हैं. डे बाई डे प्लान की मॉनिटरिंग खुद कलेक्टर कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने इस तरह का फीडबैक भी मिल रहा है कि लोग मतदान करने के लिए इस बार भी आएंगे.

पलायन कर गए मतदाताओं को बूथ तक लाने में संघ की तैयारी

जाति को भी मतदान केंद्रों से जोड़ने के लिए उनको जागरूक करने का काम किया जा रहा है. इसके लिए संघ ने अपने सेवाभावियों को इस जिम्मेदारी में लगा दिया है, जिससे अधिक से अधिक मतदान हो सके. प्रांतीय घुमंतू जाति प्रमुख और संघ के स्वयंसेवक भालचंद्र नातू ने कहा कि छतरपुर जिले के बिजावर क्षेत्र के गांवों में लोगों के घरों पर लटके ताले. ऐसे में जो मतदाता अपने घरों से दूर हैं, उनको लाने की जिम्मेदारी हमें दी गई है. हम लगातार प्रयास कर रहे है. साथ ही घुमंतू जाति के लोग जो मतदान करने से वंचित रह जाते हैं, उनको भी मतदान केंद्र तक लाने, ले जाने की व्यवस्थाएं हम करेंगे. साथ ही उनको जागरूक भी कर रहे हैं.

पूरे परिवार के साथ चले जाते हैं लोग

मध्य प्रदेश में जन अभियान परिषद के जिला अधिकारी आशीष ताम्रकार ने कहा कि यह सही है कि बुंदेलखंड में पलायन होना कम नहीं हुआ है. कई गांव तो ऐसे हैं, जहां 50 फीसद लोग काम धंधा करने के लिए पलायन कर गए हैं. यहां एक दो नहीं, बल्कि पूरे परिवार के साथ लोग चले जाते हैं.

रोजगार नहीं होने से करते हैं पलायन

कांग्रेस पार्टी के  छत्तरपुर जिला अध्यक्ष माता प्रसाद पटेल का कहना है कि पूरे बुंदेलखंड में पलायन का असर देखा जा सकता है. यहां लोगों को काम धंधा नहीं मिला, इसलिए वह पलायन कर गए. अब चुनाव है, तो उनको व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर देशहित में मतदान कराने के लिए बुलाया जा रहा है.

चुनाव के लिए बुलाने में जुटी भाजपा

भाजपा के छतरपुर के जिला अध्यक्ष चंद्रभान गौतम ने बताया कि पार्टी स्तर पर हम प्रयास कर रहे हैं कि जो लोग पलायन कर गए है, उनको बुलवाकर मतदान कराया जा सके, क्योंकि हर एक वोट से देश की सरकार बनती है. जो लोग अपने घरों पर नहीं है और काम धंधा करने चले गए हैं, उनकी जानकारी एकत्रित करा रहे हैं.

वोट का अहमियत समझाने में जुटे कलेक्टर

छतरपुर के कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि वह अपना मतदान जरूर करें. साथ ही जो लोग पलायन कर गए हैं. वो मतदान करने आ सकें. इसके लिए हम विधानसभा की तरह इस बार भी लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करेंगे, ताकि वह अपना वोट करने आ सकें.

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