ज्ञानवापी की तरह धार की भोजशाला का भी शुक्रवार से होगा ASI सर्वे, मुस्लिम पक्ष पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी की तरह ही मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला के सर्वे का रास्ता साफ हो गया है. सर्वे के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच (Indore Bench of Madhya Pradesh High Court) ने पहले ही आदेश जारी किया था अब इसके सर्वे के लिए आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम का गठन हो गया है. ये सर्वे 22 मार्च यानी शुक्रवार से शुरू होगा.

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Dhar Bhojshala ASI Survey: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी की तरह ही मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला के सर्वे का रास्ता साफ हो गया है. सर्वे के लिए  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच (Indore Bench of Madhya Pradesh High Court) ने पहले ही आदेश जारी किया था अब इसके सर्वे के लिए आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम का गठन हो गया है. ये सर्वे 22 मार्च यानी शुक्रवार से शुरू होगा. ASI की पांच सदस्यीय टीम इस पूरे सर्वे को अंजाम देगी. सर्वे के दौरान दोनों पक्ष के लोग मौजूद रहेंगे और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी. सर्वे टीम धार में पहुंच भी चुकी है. इसी बीच मुस्लिम पक्ष मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जिसमें ASI सर्वे के मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले को चुनौती दी गई है. मुस्लिम पक्ष ने सर्वे तुरंत रुकवाने की मांग की है. दूसरी तरफ हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट में 29 अप्रैल को होनी है लिहाजा ASI को अपनी सर्वे रिपोर्ट इससे पहले देनी होगी. विशेषज्ञों की टीम खुदाई कर यह देखेगी कि भोजशाला का जब निर्माण हुआ था, तब उसकी बनावट किस शैली की है और पत्थरों पर किस तरह के चिन्ह अंकित है. 

सर्वे का आदेश पहले ही दे चुकी है अदालत

बता दें कि इसी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस (Hindu Front for Justice) संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसमें मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोके जाने और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग की गई थी. इसी याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बीते हफ्ते वैज्ञानिक सर्वे का आदेश जारी किया था. इसके लिए अदालत ने ASI को टीम बनाने के निर्देश दिए थे. हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था. लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था.

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1902 में भी हो चुका है भोजशाला का सर्वे

बता दें कि भोजशाला को लेकर विवाद साल 1902 में शुरू हुआ था. उस वक्त लॉर्ड कर्जन धार और मांडू के दौरे पर आए थे. तब उन्होंने भोजशाला के रखरखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी. हिंदू पक्ष की गुजारिश पर उन्हीं के आदेश पर आर्कियोलॉजिक्ल सर्वे आफ इंडिया ने 1902 में भोजशाला का सर्वे किया था. उस सर्वे की जानकारी अफसरों ने कोर्ट के समक्ष रखी. हिंदू पक्ष का दावा है कि तब के सर्वे में हिंदू प्रतीक चिन्ह और विष्णु की प्रतिमा मिली थी. इसी दावे के आधार पर अब हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर कर पूजा का अधिकार देने की अनुमति मांगी है.  

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