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MP में किसान क्यों हुआ जहर पीने को मजबूर? बाल-बाल बची जान, इन पर उठे गंभीर सवाल

Khargone Farmer News: खरगोन जिला तहसीलदार कार्यालय के सामने एक किसान ने कीटनाशक खाकर अपनी जान देने की कोशिश की. लेकिन, मौके पर तैनात पुलिस ने उसकी जान बचा ली. आइए आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

MP में किसान क्यों हुआ जहर पीने को मजबूर? बाल-बाल बची जान, इन पर उठे गंभीर सवाल
किसान ने खाया जहर, पुलिस ने बचाई जान

Farmer Attempts Suicide: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन (Khargone) जिले के मण्डलेश्वर नायब तहसीलदार कार्यालय के सामने आज एक ग्रामीण किसान ने कीटनाशक (Pesticide) दवाई पीकर आत्महत्या करने के प्रयास का सनसनीखेज मामला सामने आया है. मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीण किसान को मण्डलेश्वर अस्पताल लेकर पहुंची. पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीण को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. खरगोन जिला अस्पताल में ग्रामीण किसान की हालत फिलहाल खतरे से बहार बताई जा रही है.

किसान ने लगाया ये आरोप

मण्डलेश्वर थाने के सांगवी गांव निवासी संदीप सोलंकी का आरोप है कि जमीन को नक्शे अनुसार चिन्हित कर सीमांकन नहीं किया जा रहा है. पीड़ित ग्रामीण ने चरनोई की जमीन दूसरे को बेचने का भी आरोप लगाया है. पीड़ित युवक संदीप का कहना है कि पिछले 6 माह से नायब तहसीलदार कार्यालय के चक्कर लगा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. आज भी सुनवाई नहीं होने पर वे कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया है. 

एसडीएम ने सभी आरोप किए खारिज

इधर, मण्डलेश्वर एसडीएम अनिल जैन ने किसान के सारे आरोपों को खारिज किया है. एसडीम जैन ने कहा कि ग्रामीण संदीप सोलंकी, निवासी सांगवी की जमीन का जनवरी में ही सीमांकन हो गया है. पड़ोसी महेन्द्र पाटीदार ने जमीन पर कब्जा बताया है, लेकिन संदीप ने अपनी जमीन से ज्यादा जमीन पर कब्जा कर रखा है. सीमांकन होने के बाद नक्शा सहित सभी आवश्यक दस्तावेज भी दे दिए गये है. लेकिन, प्रशासन पर हमेशा दबाव बनाने का संदीप प्रयास कर रहा है. 

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नायब तहसीलदार कार्यालय से पट्टे नहीं दिए जाते-एसडीएम

पट्टे पर जमीन देने के संदीप के आरोप पर एसडीएम का कहना है कि नायब तहसीलदार कार्यालय से पट्टे नहीं दिए जाते हैं. महेन्द्र की जमीन पर ही संदीप काबिज है. पूर्व में भी दबाव बनाने का प्रयास किया था. करीब 15 दिन पहले राजस्व निरीक्षक के साथ गाली-गलौच और अपशब्दों पर राजस्व निरीक्षक ने थाने में शिकायत कराई थी. एफआईआर भी हुई थी. बाद में समझाइश देकर छोड़ दिया था.

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