
जिले में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वहीं डिजिटल दुनिया के इस दौर में बदलते समय के साथ ठगी के तरीके भी बदलते जा रहे हैं. पहले साइबर फ्रॉड एटीएम के जरिए तो कभी बैंक या फिर कोई अधिकारी बनकर लोगों को ठगते आ रहे थे, लेकिन अब सरकारी योजनाओं की आड़ में लोगों को शिकार बनाया जा रहा है.
बता दें कि शातिर ठगों ने ठगी का नया ट्रेंड अभी मातृत्व और प्रसूति सहायता योजना बना है. प्रसूताओं के परिजन को फोन कर योजना का लाभ दिए जाने के नाम पर लिंक भेजी जा रही है, जिस पर क्लिक करते ही कुछ ही देर में खाता खाली कर दिया जाता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसूता को बनाया जा रहा निशाना
अब तक तीन थाना क्षेत्र के मामले साइबर सेल तक पहुंच चुके हैं. इधर, शातिर बदमाश फोन कर कहते है कि हैलो... मैं जननी हेल्पलाइन से बोल रहा हूं. आपकी पत्नी की जननी सुरक्षा योजना की राशि आई है. हम लिंक भेज रहे हैं, इस पर आप सेटिंग कर लीजिए. दरअसल, इस तरह के कॉल आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसूताओं के परिजन को आ रहे है. वहीं लिंक पर सेटिंग करते समय और यूपीआई डालते ही एक बार में ही 25 हजार रुपए की राशि गायब हो जा रही है.
ठगों ने सरकारी पोर्टल से चुरा रहे डाटा
बता दें कि साइबर ठग इतने शातिर हो गए हैं कि हर तीन माह में ठगी का तरीका बदल दे रहे हैं. इसके पहले ठगों ने स्थानीय स्तर पर व्यापारियों को आर्मी और एनसीसी के नाम पर निशाना बनाया था. उसके बाद कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर लिंक भेजकर कइयों के खाते खाली किए जा चुके हैं. इतना हीं नहीं साइबर ठग एजेंसी लेने के नाम पर भी कई लोगों को ठगा है, लेकिन अब तो अपराधी इतने शातिर हो चुके हैं कि सरकारी पोर्टल से भी डाटा चुरा रहे हैं. इसका सबूत यह है कि फोन उन्हीं को आ रहे हैं, जो योजना के लिए पात्र हैं.
यूपीआई, बैंक डिटेल्स, पासवर्ड...किसी को न बताएं
खंडवा पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने कहा कि लोगों से अपील है कि किसी को यूपीआई, बैंक डिटेल्स, पासवर्ड आदि न बताएं. अंजान नंबर से आए किसी भी लिंक को न छेड़ें और तुरंत डिलिट कर दें. नहीं तो नुकसान हो सकता है.