Karni Sena Protest: खंडवा में करणी सेना का विरोध प्रदर्शन; कलेक्टर-SP पर उठे सवाल, हरदा कांड पर एक्शन कब?

Karni Sena Protest: बीते दिनों मध्य प्रदेश के हरदा में करणी सेना और पुलिस के बीच हुए टकराव के दौरान लाठी चार्ज को लेकर राजपूत समाज में जमकर रोष व्याप्त है. इसी के चलते प्रदेश के खंडवा में शुक्रवार को बड़ी संख्या में करणी सेना के कार्यकर्ता और राजपूत समाज के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया.

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Karni Sena Protest: खंडवा में करणी सेना का विरोध प्रदर्शन

Karni Sena Protest: हरदा जिले के राजपूत छात्रावास में छात्राओं और करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवनसिंह शेरपुर सहित अन्य लोगों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के विरोध में शुक्रवार 18 जुलाई को करणी सैनिकों ने खंडवा जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन में करणी सेना के साथ ही सर्व समाज के लोग भी शामिल हुए. मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर हरदा कलेक्टर और एसपी को तत्काल हटाने की मांग की गई. वहीं कहा गया कि दोषी पुलिसकर्मियों पर प्रकरण दर्ज किया जाए. करणी सेना ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेताओ की चुप्पी को भी समाज विरोधी बताया है.

क्या है मामला?

बीते दिनों मध्य प्रदेश के हरदा में करणी सेना और पुलिस के बीच हुए टकराव के दौरान लाठी चार्ज को लेकर राजपूत समाज में जमकर रोष व्याप्त है. इसी के चलते प्रदेश के खंडवा में शुक्रवार को बड़ी संख्या में करणी सेना के कार्यकर्ता और राजपूत समाज के द्वारा हरदा एसपी कलेक्टर सहित स्थानीय प्रशासन की पूरी टीम को बर्खास्त करने की मांग की गई. करणी सेना ने 13 जुलाई की घटना को बर्बरता पूर्ण बताते हुए उस दिन को काला दिन बताया.

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राजपूत समाज के प्रतिनिधियों का कहना था कि, वे लोग न्याय की बात करने गए थे. लेकिन न्याय के रक्षकों ने ही उन पर अन्याय किया. यह घटना बहुत ही निंदनीय है. जिसको लेकर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने खंडवा कलेक्टर को सीएम के नाम एक ज्ञापन सौंपा है.

इधर करणी सेना के जिलाध्यक्ष पंकज राज ने मीडिया के सामने प्रदेश की भाजपा सरकार को भी जमकर लताड़ा.

बीजेपी पर ऐसे साधा निशाना

करणी सेना के जिलाध्यक्ष पंकज राज ने कहा कि शासन में या पार्टी में रहकर यदि कोई समाज या प्रदेश में कोई घटना होती है, उसकी बात यदि पार्टी के खिलाफ जाकर उठा ले, तो उसे पद से मुक्त कर दिया जाता है. पार्टी में एक संविधान होता है, और न्याय की बात उठाना संविधान के खिलाफ होता है. जब आप वोट मांगने आते हैं, और आम आदमी आपको संविधान के दायरे में चुनकर लोकतंत्र के मंदिर में भेजता है. तब तो आपको अच्छा लगता है. लेकिन जब आपको चुनने वालों पर आपके शासन प्रशासन में रहते हुए अत्याचार होता है, तब आप उनकी आवाज नहीं उठा पाते हो.

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