Ujjain Kal Bhairav Temple न केवल अपनी गहरी आस्था, बल्कि अपने रहस्यमय चमत्कार के कारण दुनिया भर प्रसिद्ध है. मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित Kal Bhairav Temple में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. 12 नवंबर 2025 को काल भैरव जयंती या भैरव अष्टमी के अवसर पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ेगा. यहां भगवान कालभैरव को शराब का भोग लगाया जाता है, आश्चर्य की बात यह है कि प्रतिमा स्वयं मदिरा का सेवन करती है. देखते ही देखते पात्र से शराब खत्म हो जाती है. यह रहस्य सदियों बाद भी अनसुलझा है. आइए, Kaal Bhairav Jayanti 2025 पर जानते हैं उज्जैन कालभैरव मंदिर के इस रहस्य के बारे में...
महाकाल की नगरी में काल भैरव का रहस्यमय धाम
Kal Bhairav Temple बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित है. इसका उल्लेख स्कंदपुराण के अवंति खंड में मिलता है. ऊंचे टीले पर मौजूद इस मंदिर के चारों ओर मजबूत परकोटा बना है. मंदिर का निर्माण प्राचीन परमार राजाओं के समय में हुआ था, जब विशाल पत्थरों को जोड़कर इस अद्भुत संरचना को खड़ा किया गया. कहा जाता है कि स्वयं भगवान महाकाल ने उज्जैन की रक्षा का दायित्व कालभैरव को सौंपा था, इसलिए इन्हें “महाकाल के कोतवाल” के नाम से पूजा जाता है.
Kal Bhairav Temple Ujjain
शराब का रहस्य जो आज भी बना हुआ है
इस मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा- भगवान कालभैरव को शराब का भोग लगाना है. श्रद्धालु जैसे ही भगवान के मुख के पास मदिरा का पात्र लाते हैं, वह कुछ ही क्षणों में खाली हो जाता है. ऐसे में प्रतिमा का शराब पीना आज भी रहस्य बना हुआ है. कई वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन नतीजा हमेशा शून्य रहा. मंदिर की संरचना का बारीकी से अध्ययन किया गया, यहां तक कि 12 फीट गहरी खुदाई भी कराई गई, लेकिन यह समझ नहीं आया कि शराब आखिर कहां जाती है. यह रहस्य आज भी लोगों की आस्था को और गहराई से जोड़ देता है.
पाताल भैरवी, तंत्र साधना का गढ़
मंदिर के अंदर थोड़ी दूरी पर “पाताल भैरवी” का स्थान है, जहां एक संकरे रास्ते से नीचे पहुंचा जा सकता है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहीं पर साधक और तांत्रिक ध्यान और साधना करते थे. पास ही “विक्रांत भैरव मंदिर” स्थित है, जो आज भी तंत्र साधना का केंद्र माना जाता है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां की साधनाएं कभी असफल नहीं होतीं.
कालभैरव की पूजा और तांत्रिक परंपरा
कालभैरव की पूजा शैव, कपालिका और अघोरा संप्रदायों में अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां पंचमकार साधना का विशेष महत्व बताया गया है, जिसमें मदिरा (सुरा) शक्ति का प्रतीक मानी जाती है.भैरव साधना में मदिरा, मांस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन पांच तत्व हैं, जिन्हें भक्ति और तंत्र की गूढ़ व्याख्या के रूप में देखा जाता है.
आस्था, शक्ति और रहस्य का संगम
हर साल भैरव अष्टमी या काल भैरव जयंती पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर परिसर में घंटों लंबी कतारें लगती हैं. श्रद्धालु अपने साथ शराब की बोतल लेकर आते हैं और भैरव बाबा को अर्पित करते हैं. मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से बाबा को मदिरा का भोग लगाता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस बार 12 नवंबर 2025 (बुधवार) को कालभैरव जयंती पर मंदिर प्रशासन ने भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए विशेष व्यवस्था की है.
काल भैरव जयंती पर महाआरती
काल भैरव मंदिर में इस बार जयंती के अवसर पर विशेष पूजन, महाआरती और रात्रि भजन संध्या का आयोजन होगा. साधु-संत कालभैरव स्तोत्र और भैरव चालीसा का पाठ करेंगे. इस दौरान हजारों भक्त मौजूद रहेंगे.
चलते चलते यह भी जानिए...
काल भैरव मंदिर में शराब क्यों चढ़ाई जाती है?
मदिरा को तांत्रिक साधना में शक्ति का प्रतीक माना गया है. यह अर्पण भैरव की तृप्ति और भक्त की मनोकामना पूर्ण करने का माध्यम है.
काल भैरव जयंती कब मनाई जाती है?
हर साल मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह जयंती मनाई जाती है. इस साल 12 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी.
काल भैरव मंदिर कहां स्थित है?
यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित है.
ये भी पढ़ें....
खुलेआम अय्याशी! अशोकनगर के पार्क में जीजा-साली का गंदा रोमांस, अश्लील वीडियो वायरल, मचा हड़कंप
मेकैनिक की बेटी मुस्कान DSP बनीं, MPPSC 2023 में हासिल की छठी रैंक, क्या है कहानी