
Jeetu Patwari letter to CM: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को बेहद कड़े सवालों से भरा खुला पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर बड़ा हमला बोला है. पटवारी ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य दोनों की नाकामी का सीधा नुकसान अब जनता और विकास कार्यों को झेलना पड़ रहा है.
आधे साल में सिर्फ 18% फंड — चिंता क्यों गहरी है?
पटवारी ने साफ कहा कि वर्ष 2025 की पहली छमाही में केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को योजनाओं के लिए तय ₹44,355 करोड़ में से सिर्फ ₹8,027 करोड़ जारी किए. यानी कुल फंड का मात्र 18.07%. यह आंकड़ा राज्य की आर्थिक बिगड़ती हालत का संकेत है और विकास योजनाओं के रुकने का साफ खतरा दिखाता है.
डबल इंजन सरकार में इतना गैप क्यों?
उन्होंने सवाल उठाया कि जब भाजपा खुद को ‘डबल इंजन' की सरकार बताती है, तो फिर केंद्र और राज्य में तालमेल की ऐसी कमी क्यों? पटवारी का आरोप है कि वास्तव में अब इंजन साथ नहीं खींच रहे, बल्कि एक-दूसरे से टकरा रहे हैं और इसका बिल जनता चुका रही है.
भाजपा पर ‘जिम्मेदारी से भागने' का आरोप
उन्होंने नाम लेकर कहा कि शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह जैसे बड़े चेहरे भी केंद्र से फंड लाने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं. यह सिर्फ प्रशासनिक नाकामी नहीं, बल्कि राजनीतिक उदासीनता भी है.
पत्र में पटवारी ने पीएम आवास योजना, जल जीवन मिशन, मेडिकल कॉलेज, ई-बस योजना, केन-बेतवा प्रोजेक्ट जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि फंड रुकने से ग्रामीण और शहरी गरीबों का जीवन सीधे प्रभावित हो रहा है. ‘विकास की रफ्तार रुकी है और सरकार खामोश है.'
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क्या यही वजह है फंड रोकने की?
उन्होंने आगे कहा कि जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ही केंद्र ने फंड रोक रखे हैं. पटवारी ने सीधे सवाल किया — “क्या सरकार पारदर्शिता से ज्यादा राजनीतिक सुविधा को बचा रही है?”
पटवारी की सरकार को तीन मांगें
इस पत्र में पटवारी ने सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं...
- तुरंत केंद्र पर दबाव बनाकर फंड रिलीज करवाया जाए
- भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई हो
- जिन योजनाओं का काम पैसों की कमी से रुका है, उन्हें प्राथमिकता देकर तुरंत शुरू किया जाए
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जनता अब जवाब चाहती है, वादा नहीं
पत्र के अंत में पटवारी ने लिखा “मोहन जी, यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं, अब राजनीतिक जवाबदेही का सवाल है. जनता अब बहाने नहीं, नतीजे चाहती है.”