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जल गंगा संवर्धन अभियान: एमपी में तैयार किए जाएंगे 1 लाख 'जलदूत', सीएम यादव हर दिन एक जल संरचना का करेंगे लोकार्पण

Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: मध्य प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत होने जा रही है. इसमें एक लाख खास जलदूत बनाने की तैयारी सरकार कर रही है. आइए आपको बताते हैं कि इस खास योजना को लेकर सरकार का क्या प्लान है.

जल गंगा संवर्धन अभियान: एमपी में तैयार किए जाएंगे 1 लाख 'जलदूत', सीएम यादव हर दिन एक जल संरचना का करेंगे लोकार्पण
जल गंगा अभियान को लेकर सीएम मोहन यादव ने तैयार किया ब्लूप्रिंट

MP Jal Ganga Mission: जल ही जीवन है... इससे हम आज सुरक्षित है... इसी से हमारा कल भी सुरक्षित है... इसी मंशा के साथ मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) जल गंगा जल संवर्धन महा अभियान (Jal Ganga Jal Samvardhan Maha Abhiyan) की शुरुआत करने जा रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित क्षिप्रा तट पर वरुण (जल देवता) पूजन और जलाभिषेक के साथ "जल गंगा संवर्धन अभियान" का विधिवत शुभारंभ 30 मार्च 2025 को करेंगे. 

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जल गंगा संवर्धन अभियान क्या है?

यह प्रदेशव्यापी अभियान खासतौर से गर्मी के मौसम में 30 जून तक, यानी 90 दिन से अधिक समय तक लगातार चलेगा. इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हर दिन एक छोटी-बड़ी जल संरचना को लोकार्पित करेंगे. उन्होंने कहा है कि जल संरक्षण के इस अभियान से प्रदेश में भूजल स्तर में सुधार आएगा. पानी की बूंद-बूंद बचाएं, तभी हमारी सांसें बचेंगी. मध्य प्रदेश सरकार जन, जल, जंगल, जमीन और वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए संकल्पित है.

क्यों जरूरी है संवर्धन अभियान?

जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत एमपी में प्रदेश सरकार पंचायत स्तर पर तालाबों के निर्माण, वन्य जीवों के लिए वन क्षेत्र और प्राणी उद्यानों में जल संरचनाओं के पुनर्विकास के कार्य करेगी. अभियान के 90 दिनों में प्रदेश की 90 लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण होगा. नदियों में जलीय जीवों को पुनर्स्थापित करने की संभावनाएं तलाशेंगे. इसके साथ ही, लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे.

बनाए जाएंगे एक हजार नए तालाब

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग 1000 नए तालाबों का निर्माण करेगा. साथ ही, प्रदेश की 50 से अधिक नदियों के वॉटर शेड क्षेत्र में जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य होंगे. नदियों की जल धाराओं को जीवित रखने के लिए गेबियन संरचना, ट्रेंच, पौध-रोपण, चेकडैम और तालाब निर्माण पर जोर दिया जायेगा. नर्मदा परिक्रमा पथ का चिन्हांकन कर जल संरक्षण एवं पौध-रोपण की कार्य योजना तैयार होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में पानी चौपाल आयोजित होंगी. स्थानीय लोगों को जल संरचनाओं के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि "जल गंगा संवर्धन अभियान" में जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए वर्षा जल संचयन, जल स्रोतों का पुनर्जीवन और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. प्रदेश सरकार का यह अभियान जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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