MP High Court: मध्य प्रदेश की जर्जर और गड्ढों से भरी सड़कों पर लगातार बढ़ते हादसों को लेकर हाईकोर्ट (MP High Court) ने बड़ा कदम उठाया है. उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार समेत कई विभागों को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों के भीतर सड़कों की मौजूदा स्थिति और सुधार कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. यह कार्रवाई इंदौर के सेवानिवृत्त कर्मचारी राजेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर हुई, जिसमें सड़कों की खराब हालत और हादसों में हो रही जनहानि को लेकर गंभीर चिंता जताई गई थी.
कोर्ट में क्या कुछ हुआ?
सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा गया कि मध्य प्रदेश देश के दूसरे नंबर पर आता है, जहां सड़कों हादसों में सबसे ज्यादा मौतें होती है. वहीं याचिका में अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की गई थी, ताकि लापरवाही पर रोक लगाई जा सके.
अदालत ने केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार, एनएचएआई (NHAI), एमपीआरडीसी (MPRDC), ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.
हाईकोर्ट की इस सख्ती से आम लोगों में उम्मीद जगी है कि अब प्रदेश में सड़कों के रखरखाव को लेकर जिम्मेदार विभागों में जवाबदेही तय होगी. मानसून के बाद से प्रदेश के कई हिस्सों में सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, जिससे रोज हादसे हो रहे हैं. अदालत का यह कदम न केवल जवाबदेही तय करेगा, बल्कि सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है.
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