Madhya Pradesh: देश में सैनिक जवानों का दर्जा सबसे ऊपर माना जाता है. यही सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर देश की सीमाओं को सुरक्षित रखते हैं जिससे हम अपने घरों में चैन से सो सकें. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान अश्विनी काछी के परिवार से किया गया वादा पांच साल बाद भी सरकार ने पूरा नहीं किया.
हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
इसके बाद इस संबंध में अखबारों में प्रकाशित खबर पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित के रूप में किए जाने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट ने पूर्व में शहीद के पिता को अनावेदक बनाने के निर्देश जारी किए थे. मामले में आगे हुई सुनवाई पर चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने शहीद के पिता सुकरू काछी को नया नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.
परिजनों ने शहीदों की याद में कन्या भोज का किया आयोजन
अखबार में प्रकाशित खबर में कहा गया था कि पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवान अश्विनी काछी को शासन व प्रशासन ने भुला दिया. पुलवामा हमले की पांचवी बरसी पर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने परिजनों के साथ सेना के अधिकारी तथा गांव के लोग ही पहुंचे. परिजनों ने शहीदों की याद में कन्या भोज का आयोजन किया. जिला प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों में कोई नहीं पहुंचा था. शहीद के भाई सुमंत काछी तथा भतीजी प्रियंका काछी ने बताया कि अश्विन की प्रतिमा की स्थापना उनके परिवार ने अपने खर्चे से करवाई थी. प्रतिमा निर्माण में साढ़े 6 लाख रुपए खर्च हुए थे. अंतिम संस्कार व प्रतिमा अनावरण के समय प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने शहीद के नाम पर स्कूल तथा प्रतिमा स्थल में पार्क बनाने की घोषणा की थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है.
शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कोई प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि शिरकत करने नहीं आए. सेना के अधिकारी तथा सेवानिवृत्त सैनिक और ग्रामीण जनों ने कार्यक्रम में शिरकत कर शहीद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. वहीं परिजनों का आरोप था कि जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों से जब पार्क निर्माण व स्कूल के नामकरण की बात करते हैं तो वह कहते हैं एक करोड़ रुपए तो मिल गये. क्या किसी जवान की शहादत का मूल्यांकन रूपयों से किया जाना चाहिए.
पुन: नोटिस जारी करने के दिए निर्देश
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर विभिन्न दस्तावेज के साथ जवाब पेश किया गया था. युगलपीठ ने शहीद के पिता को अनावेदक बनाने के निर्देश जारी किए थे. मामले में आगे हुई सुनवाई पर न्यायालय ने आवेदक बनाए गए शहीद के पिता को पुन: नोटिस जारी करने के आदेश जारी किए हैं.
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