वाहनों पर फर्जी नंबर प्लेट लगाने को लेकर हाईकोर्ट सख्त, इस मामले में अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

Jabalpur News: अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि वाहनों के संबंध में परिवहन विभाग की वेबसाइट में जानकारी उपलब्ध रहती है.

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Madhya Pradesh: हाई कोर्ट (High Court) के न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने फर्जी नम्बर प्लेट के मामले के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया. टीकमगढ़ के रहने वाले अश्वनी मिश्रा की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी. कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि इस मामले में फर्जी नम्बर प्लेट का उपयोग अपराधिक या गैर कानूनी कार्य के उद्देश्य से किए जाने से इन्कार नहीं किया जा सकता. लिहाजा, इस तरह के गंभीर प्रकरण में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती.

कुछ पत्रकारों से हुआ था विवाद

इससे पूर्व आवेदक की ओर से दलील दी गई कि उसने धीरज लटोरिया से टोयोटा इनोवा गाड़ी क्रमांक एमपी 36 सी 4893 खरीदी थी. वह एक महिला की मदद के लिए कोर्ट गया था. इस दौरान उसका कुछ पत्रकारों से विवाद हो गया. इसके बाद उसके विरुद्ध फर्जी नम्बर प्लेट का उपयोग किए जाने को लेकर प्रकरण दर्ज कर लिया गया. उक्त वाहन का सही पंजीयन क्रमांक यूपी 95 बी 0946 के होने की उसे जानकारी नहीं थी.

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नहीं उठाई जांच करने की कोई जहमत

अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि वाहनों के संबंध में परिवहन विभाग की वेबसाइट में जानकारी उपलब्ध रहती है. याचिकाकर्ता जिस पंजीयन का उपयोग कर रहा था, वह हुंडई वेन्यू कार को आवंटित हुआ है. धीरज लटोरिया के वाहन बेचने के पहले सभी दस्तावेज अश्वनी मिश्रा को दे दिए थे. इसका उल्लेख वाहन बेचने के दौरान हुए एग्रीमेंट में है. वाहन खरीदने के संबंध में याचिकाकर्ता ने गाड़ी के पंजीयन तथा उपलब्ध दस्तावेजों की जांच करने में कोई जहमत तक नहीं उठाई. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी गई.

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