Fake Doctor Case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) जिले में फर्जी डिग्री के आधार पर जिला अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्ति पाने के मामले में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आरोपी शुभम अवस्थी के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. यह आदेश जेएमएफसी पलक श्रीवास्तव की कोर्ट ने शिवसेना के प्रांतीय उपाध्यक्ष शैलेन्द्र बारी के दायर आपराधिक परिवाद पर सुनवाई के बाद दिया. कोर्ट ने सिविल लाइन थाना प्रभारी को आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर 5 अप्रैल 2025 तक जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
क्या है पूरा मामला
परिवादी शैलेन्द्र बारी ने अधिवक्ता परितोष गुप्ता के माध्यम से दायर परिवाद में आरोप लगाया कि शुभम अवस्थी ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर की फर्जी आयुर्वेद स्नातक डिग्री (बीएएमएस) के आधार पर जिला अस्पताल में चिकित्सक पद हासिल किया था. उन्होंने बताया कि अवस्थी ने दस्तावेजों में यह झूठा उल्लेख किया कि उसने शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर से पढ़ाई की है. इस फर्जी डिग्री के आधार पर शुभम अवस्थी ने मध्य प्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड भोपाल से रजिस्ट्रेशन नंबर 56970 प्राप्त किया, जबकि यह पंजीयन असल में डॉ. इरम जहां मंसूरी के नाम पर दर्ज है.
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
इस मामले की शिकायत सिविल लाइन थाने में की गई थी, लेकिन डेढ़ साल से अधिक समय बीतने के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ शैलेन्द्र बारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने जिला अदालत को आदेश दिया कि परिवाद पर 60 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाए.
कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख
पूरे मामले में कोर्ट का कहना है कि प्रस्तुत प्रकरण गंभीर प्रकृति का है और इसमें उल्लेखित धाराएं संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आती हैं. ऐसे में आरोपी के खिलाफ उचित जांच और विवेचना किया जाना आवश्यक है. मामले में धारा 420 – धोखाधड़ी, धारा 467 – कूटरचित दस्तावेज तैयार करना, धारा 471 – फर्जी दस्तावेजों का उपयोग, धारा 120बी – आपराधिक षड्यंत्र, मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम की धारा 24(2) और मप्र चिकित्सा शिक्षा अधिनियम की धारा 8(1) व 8(2) के तहत एफआइआर दर्ज होगा.
अगली सुनवाई 5 अप्रैल को
अदालत ने सिविल लाइन पुलिस को आदेश दिया कि वह सभी दस्तावेजों के आधार पर शुभम अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत करें. मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल 2025 को होगी.
क्या है धारा 156(3) ?
सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत न्यायालय पुलिस को किसी संज्ञेय अपराध की जांच के लिए निर्देशित कर सकता है. इस प्रकरण में भी कोर्ट ने इसी धारा के तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
'कोविड में लोग मर रहे थे, तब मैंने सेवाएं दी'
आरोपी डॉ. शुभम अवस्थी ने एनडीटीवी से कहा कि 2020-2021 के कोरोना काल में, जब अपनों ने भी साथ छोड़ दिया था, तब मैंने 10 महीने तक जिला अस्पताल में सेवा दी थी. उस समय कोविड से लोग मर रहे थे और मैंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए पूरी तरह अस्पताल में तैनात रहकर काम किया. यहां तक कि मैं घर भी नहीं जाता था.
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शुभम अवस्थी ने कहा, "मेरा काम केवल कोविड सैंपल लेना और उसे लैब भिजवाना था, न कि मरीजों का इलाज करना." उन्होंने यह भी कहा कि अभी कोर्ट ने पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं, इसलिए मुझे फर्जी डॉक्टर कहना उचित नहीं है. पुलिस अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी और जो भी निर्णय आएगा, वह मुझे स्वीकार होगा.
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