madhya pradesh news : पिछले एक महीने से मध्य प्रदेश के लगभग 2 लाख नर्सिंग स्टूडेंट्स (nursing student) प्रदर्शन कर रहे हैं. कल जबलपुर (jabalpur) की सड़कों पर प्रदर्शन (protest) कर रहे स्टूडेंट्स पर पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए पानी की बौछार की थी. वहीं आज एक बड़ी खबर सामने आ रही है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (mp hingh court) ने अब प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों (nursing college) की जांच सीबीआई (CBI) को सैंपने के निर्देश दिए हैं.
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हाईकोर्ट ने 3 महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा
मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में मची धांधली को लेकर हुई सुनवाई में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश (chief justice) रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने बिना मूलभूत सुविधाओं के संचालित हो रहे नर्सिंग कॉलेजों और उन्हें दी गई मान्यता के मामले में हर नर्सिंग कॉलेज की जांच सीबीआई (CBI) से कराने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने सीबीआई को 3 माह में मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.
सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं कॉलेज
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के बारे में बताया गया है. याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों (tribal area) में उन 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी, जो सिर्फ कागजों पर संचालित हो रहे हैं. बता दें कि कई कॉलेज तो सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. यहां तक की कुछ कॉलेजों की बिल्डिंग तक नहीं है. कई नर्सिंग कॉलेज का एक ही प्राचार्य है, फैकल्टी भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत है.
284 कॉलेजों में हैं माइग्रेटेड फैकल्टी
जबलपुर के साथ ग्वालियर खण्डपीठ में भी जनहित याचिका दायर है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने डीएमई की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट को बताया कि कुल 364 में से 284 नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें माइग्रेटेड फैकल्टी पाई गईं थीं. इसके अलावा 227 कॉलेजों में डुप्लिकेट फैकल्टी कार्यरत थीं. उन्होंने दलील दी कि जब बिना मान्यता के कॉलेज संचालित हैं, पढ़ाई हुई नहीं है, कक्षाएं लगी नहीं हैं तो ऐसे में परीक्षा की अनुमति देना अनुचित होगा. उन्होंने यह दलील भी दी कि सीबीआई माइग्रेटेड और डुप्लिकेट फैकल्टी की जांच नहीं कर रही है.
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75 कॉलेजों को CBI ने दी क्लीन चिट
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने दलील देते हुए कहा था कि करीब 75 ऐसे कालेज हैं, जिन्हें CBI ने क्लीन चिट दे थी. उन्होंने तर्क दिया कि इस प्रकरण के चलते नर्सिंग मेडिकल एजुकेशन (medical education) प्रभावित हो रहा है. पिछले सत्र की परीक्षाएं रुकी हैं और नए प्रवेश नहीं हो रहे हैं. जिन कालेजों में अनियमितताएं नहीं हैं, वे इसका खामियाजा भुगत रहे हैं. ऐसे में जिन कालेजों को CBI ने क्लीन चिट दी है, उन्हें परीक्षा और एडमिशन की प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दी जानी चाहिए.