Jabalpur Airport: हाईकोर्ट नाराज; कहा- जबलपुर से फ्लाइट्स नहीं बढ़ीं तो न्यायिक आदेश कर सकते हैं जारी

MP High Court: हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि विमानन कंपनियां केवल पर्यटन को ध्यान में रखकर उड़ानों का समय तय करती हैं, जबकि व्यवसायिक व पेशेवर यात्रियों की सुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है. अदालत ने यह भी कहा कि जब उड़ानें बढ़ाने की कोई ठोस योजना नहीं थी, तो एयरपोर्ट विस्तार पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने का औचित्य क्या था?

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Jabalpur Airport: हाईकोर्ट नाराज; कहा- जबलपुर से फ्लाइट्स न बढ़ीं तो न्यायिक आदेश कर सकते हैं जारी

MP High Court: जबलपुर में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजिव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने जबलपुर की हवाई सेवाओं की सीमितता पर गंभीर चिंता जताई है. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो भोपाल-इंदौर की उड़ानों को जबलपुर से जोड़ने के लिए न्यायिक आदेश जारी करना पड़ सकता है. न्यायालय ने यह सवाल भी उठाया कि जब भोपाल को प्रशासनिक और जबलपुर को न्यायिक राजधानी का दर्जा दिया गया है, तो फिर जबलपुर जैसे प्रमुख शहर के साथ द्वितीय श्रेणी का व्यवहार क्यों किया जा रहा है.

“टूरिज्म नहीं, प्रोफेशनल जरूरतों पर हो उड़ानों की योजना”

हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि विमानन कंपनियां केवल पर्यटन को ध्यान में रखकर उड़ानों का समय तय करती हैं, जबकि व्यवसायिक व पेशेवर यात्रियों की सुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है. अदालत ने यह भी कहा कि जब उड़ानें बढ़ाने की कोई ठोस योजना नहीं थी, तो एयरपोर्ट विस्तार पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने का औचित्य क्या था.

केंद्र और राज्य को संयुक्त बैठक करने का निर्देश

कोर्ट ने असिस्टेंट सालिसिटर जनरल को यह जिम्मेदारी दी कि वे संबंधित विभागीय अधिकारियों और याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं के साथ संयुक्त बैठक कर ठोस प्रस्ताव तैयार करें. अदालत को अगली सुनवाई में इस पर जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं.

मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के मुकाबले पीछे जबलपुर

जनहित याचिका में बताया गया कि फिलहाल जबलपुर से केवल नौ उड़ानें संचालित हैं, जबकि भोपाल से 40 से अधिक, इंदौर से करीब 80, और ग्वालियर से लगभग 25 उड़ानें रोजाना उड़ान भरती हैं. पूर्व में जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता, और बेंगलुरु के लिए उड़ानें संचालित थीं, जो अब बंद हो चुकी हैं.

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हवाई अड्डे के उन्नयन पर हुआ 500 करोड़ का निवेश

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने अदालत को बताया कि जबलपुर हवाई अड्डे के विस्तार पर लगभग ₹500 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं. पिछली सुनवाइयों के दौरान कोर्ट ने विमानन कंपनियों से यह स्पष्ट करने को कहा था कि उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें सरकार से किन रियायतों की आवश्यकता है.

विमानन कंपनी की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि सरकार ने मध्य प्रदेश के लिए आरएफपी जारी की है और शीघ्र ही दिल्ली के लिए नई उड़ान सेवा प्रारंभ की जाएगी. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य सांघी ने कहा कि 2011 में जबलपुर एयरपोर्ट के विस्तार और नाइट लैंडिंग सुविधा का वादा किया गया था, लेकिन अब भी अपेक्षित उड़ानें नहीं बढ़ीं.

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