10वीं फेल ट्रक क्लीनर से करोड़ों के कारोबारी बने अमरकांत; सोशल मीडिया में वायरल है इनके जीवन का संघर्ष

Success Story: अमरकांत पटेल की कहानी यह साबित करती है कि सफलता सिर्फ कमाई से नहीं, अपने संघर्ष और सफर को सम्मान देने से भी मिलती है.

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Success Story: 10वीं फेल ट्रक क्लीनर से करोड़ों के कारोबारी बने अमरकांत; सोशल मीडिया में वायरल है इनके जीवन का संघर्ष

Inspirational Story: जबलपुर (Jabalpur) के गढ़ा क्षेत्र में बना एक दो मंजिला मकान इन दिनों लोगों की उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है. वजह है—उसकी छत पर शान से खड़ा एक 10 चक्का असली ट्रक. यह कोई आम ट्रक नहीं, बल्कि मेहनत, संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी समेटे हुए है. इस अनोखे मकान के मालिक हैं अमरकांत पटेल उर्फ रिंकू, जिन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत ट्रक क्लीनर से की थी और आज जबलपुर-नागपुर हाईवे पर फैक्टरी व मकान के साथ करोड़ों के व्यवसाय के मालिक हैं.

10वीं में फेल, लेकिन जिंदगी में टॉप

अमरकांत की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. 10वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद पढ़ाई छूटी, लेकिन जिम्मेदारियाँ बढ़ गईं. घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, ऐसे में कम उम्र में उन्होंने ट्रक क्लीनर का काम शुरू किया. घर से दूर, मुश्किल जिंदगी, लंबी यात्राएँ—लेकिन हौसला कभी नहीं टूटा. धीरे-धीरे उन्होंने ट्रक ड्राइविंग सीखी और सालों तक दूसरों की गाड़ियों पर माल ढोया. इसी संघर्ष ने उनमें ‘अपना ट्रक' खरीदने का सपना जगा दिया.

Success Story: अमरकांत ट्रक में बैठे हुए

दोस्त की गारंटी और पहला ट्रक—यहीं से बदली तकदीर

बैंक गारंटी न होने के कारण ट्रक खरीदना लगभग नामुमकिन था. लेकिन हिम्मत और भरोसे के दम पर उन्होंने अपने दोस्त के पिता को राज़ी किया और पहला ट्रक खरीदा. बस इसी पल ने उनकी किस्मत की दिशा बदल दी. अमरकांत बताते हैं  “इस ट्रक ने मुझे देश के हर कोने में पहुँचाया और मेरी दुनिया बदल दी.”

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अब फैक्टरी मालिक—जहां तैयार होती हैं ट्रकों की बॉडी

ट्रक चलाते-चलाते उन्होंने धीरे-धीरे पूँजी खड़ी की. आज हाईवे पर उनके पास लगभग 10,000 स्क्वायर फीट जमीन है, जिसमें दो मंजिला मकान और पीछे बॉडी-बिल्डिंग का कारखाना चलता है. कई ट्रकों की बॉडी यहां बनती है और अमरकांत अब सफल उद्यमी हैं.

अमरकांत कहते हैं कि ‘यह ट्रक नहीं, मेरा सबसे बड़ा साथी है', इसीलिए छत पर सजा दिया. जो ट्रक उनकी जिंदगी की पहचान बना, उसे बेचने का ख्याल भी अमरकांत ने कभी नहीं किया. उन्होंने 3 टन वजनी इस 10 चक्का ट्रक को क्रेन की मदद से अपने नए घर की छत पर रखवा दिया.

यह ट्रक आज भी चालू स्थिति में है, उसके कागज और परमिट भी वैध हैं. लेकिन अमरकांत कहते हैं कि “जिसने मेरा बोझ उठाया, उसे अब मैं आराम देना चाहता हूं. यह केवल गाड़ी नहीं, मेरा सच्चा दोस्त है.”

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Success Story: छत में रखा हुआ ट्रक

लोग अब इसे ‘ट्रक वाला घर' कहते हैं

अमरकांत बताते हैं कि यह मकान अब इलाके की पहचान बन चुका है. अक्सर लोग हाईवे पर अपनी गाड़ी रोककर छत पर रखे ट्रक को देखने आते हैं. उनके लिए यह आश्चर्य की बात होती है कि कोई व्यक्ति अपने संघर्ष के साथी को इस तरह सम्मान दे सकता है.

मेहनत की मिसाल, संघर्ष की पहचान

8–10 लाख रुपए मिल सकते थे, पर अमरकांत ने अपने दिल के करीब इस ट्रक को हमेशा के लिए घर का हिस्सा बना दिया. इस अनोखे फैसले ने उन्हें एक नई पहचान दी है,एक ऐसे व्यक्ति की पहचान, जो अपनी शुरुआत को कभी नहीं भूलता.

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