इंदौर किशोर कुमार भारतीय संगीत जगत के उस चेहरे का नाम है, जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं है. सुरीली आवाज के बेताज बादशाह ने अपने करियर में अनेको हिट गाने दिए.
किशोर कुमार फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित गायकों में से एक थे. 4 अगस्त 1930 को जन्मे सिंगिंग किंग न केवल अपनी शानदार गायन प्रतिभा के लिए जाने जाते थे, बल्कि एक शानदार अभिनेता, संगीत निर्देशक, निर्माता, गीतकार, लेखक, निर्देशक और पटकथा लेखक भी थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, 'महापुरुष कभी नहीं मरते हैं, और यह हम पर निर्भर है कि हम उनके द्वारा शुरू किए गए काम को जारी रखते हुए उन्हें अमर बनाए रखें. यह बातें किशोर कुमार पर बिल्कुल फिट बैठता है, क्योंकि वह एक महान गायक और सुपरहिट संगीत की वजह से आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं.आज उनकी बर्थ जन्मदिन पर आइये उनके बारे में कुछ बातें जानते हैं.
आइये जानते हैं इंदौर के जिस कॉलेज में किशोर कुमार ने पढ़ाई की वहां उनका जन्मदिन उनके चाहने वाले किस धूम के साथ मनाते हैं ?
संगीत कलाकार किशोर कुमार का जन्म भले ही मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ हो लेकिन उनकी उच्च शिक्षा इंदौर शहर में हुई इंदौर के क्रिश्चन कॉलेज में किशोर कुमार ने पढ़ाई की वहां भी उनका जन्मदिन उनके चाहने वाले बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं.क्रिश्चन कॉलेज इंदौर में हरफनमौला गायक और कलाकार किशोर दा का जन्मदिन उनके चाहने वालो ने धूम धाम से मनाया कॉलेज के मुख्य गेट पर ही किशोर दा का फ्लेक्स लगाया गया है और जैसे ही अंदर ऑडिटोरियम में जाते हैं जहां किशोर दा कॉलेज के वार्षिक उत्सव समारोह में गीत गया करते थे उसी ऑडिटोरियम में एक गीत संगीत की महफिल का आयोजन किया गया और इसी ऑडिटोरियम में किशोर दा का केक काटकर उनका जन्मदिन मनाया गया गीत और संगीत की दुनिया के जादूगर के रूप में पहचाने जाने वाले किशोर कुमार ने अपने जीवन में जितनी भी उपलब्धियां हासिल की हैं, उनमें इंदौर का विशेष महत्व रहा है.
किशोर कुमार का प्रारम्भिक जीवन -
4 अगस्त 1930 को खंडवा में जन्मे किशोर कुमार की प्रारंभिक शिक्षा खंडवा में पूर्ण हुई। उच्च शिक्षा के लिए वे इंदौर आए किशोर कुमार ने वर्ष 1946 में बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र के रूप में प्रवेश लिया। किशोर कुमार अपने बड़े भाई कल्याण कुमार गांगुली ( फिल्मी नाम अनूप कुमार) के साथ क्रिश्चियन काॅलेज के होस्टल के 4 नंबर कमरे में रहते थे। काॅलेज के समय से ही किशोर दा को गायकी का शौक था.
पेड़ के निचे सुनाते थे, सहपाठियों को गाने -
वो इमली का पेड़ आज भी क्रिश्चियन काॅलेज के मैदान में मौजूद है, जहां बैठकर किशोर कुमार अपने सहपाठियों को गाने सुनाया करते थे। इतना ही नहीं देश की आजादी का पल 14 अगस्त 1947 की रात में काॅलेज में जब आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, तब किशोर कुमार ने अपने गीतों से पूरी रात समां बांधी थी।
किशोर कुमार के लाखों -करोडो प्रशंसको में से एक प्रशंसक बताते हैं कि इंदौर के लिए गर्व की बात है, इतना महान कलाकार इंदौर में रहा उनकी यादों को संजोने के लिए हर साल उनके जन्मदिन पर यहां आयोजन किया जाता है और उन्हें याद किया जाता है.