
Shivpuri Jackal attack : जंगल की खामोशी कभी-कभी मौत का सन्नाटा भी बन जाती है, लेकिन शिवपुरी जिले की एक बुजुर्ग महिला ने उस सन्नाटे को अपनी बहादुरी से तोड़ दिया. 65 साल की सुरजिया बाई इन दिनों पूरे गांव ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया तक पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. वजह है उनकी वह अद्भुत हिम्मत जिसने एक खूंखार जंगली सियार को मौत के घाट उतार दिया.
जब जंगल में मौत से हुआ सामना!
घटना उस वक्त की है जब सुरजिया बाई जंगल से होकर गुजर रही थीं. अकेली महिला को देख अचानक एक जंगली सियार ने हमला बोल दिया. किसी और के लिए यह पल आखिरी साबित हो सकता था, लेकिन सुरजिया बाई ने हार मानने के बजाय सियार से भिड़ने का फैसला किया. आधे घंटे तक चली यह जंग किसी फिल्मी सीन से कम नहीं थी. सियार बार-बार उन पर झपटा, उन्हें घायल करता रहा. खून से लथपथ होने के बावजूद सुरजिया बाई लगातार संघर्ष करती रहीं. उन्होंने पहले अपने दोनों हाथों से सियार के जबड़े अलग करने की कोशिश की ताकि उसका हमला कमजोर हो सके. सियार के मुंह से खून भी निकलने लगा, लेकिन यह खूंखार जानवर हार मानने को तैयार नहीं था.

बुजुर्ग महिला ने सियार का आधे घंटे तक जमकर मुकाबला किया और उसे ढेर करके ही दम लिया.
साड़ी को बना लिया हथियार
इसी बीच महिला के मन में एक और ख्याल आया. उन्होंने अपनी साड़ी खोली और उससे फंदा बनाया. मौका मिलते ही वह सियार के ऊपर चढ़ गईं और फंदा उसके गले में डालकर पूरी ताकत से खींचने लगीं. करीब 30 मिनट तक चला यह संघर्ष आखिरकार सियार की जान ले बैठा. मगर इसके बाद सुरजिया बाई की भी ताकत जवाब दे गई. थकावट और चोटों से बेहाल होकर वो बेहोश हो गईं. परिवार वाले जब उन्हें खोजते हुए वहां पहुंचे तो उनकी हालत देखकर हैरान रह गए. तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया. करीब छह घंटे बाद होश आने पर सुरजिया बाई ने अपने संघर्ष की दास्तां सबको सुनाई. उनके शरीर पर कई जगह गहरे जख्म थे, जिनका इलाज डॉक्टर कर रहे हैं.
होश खोकर भी हिम्मत न हारी !
सुरजिया बाई ने खुद कहा कि उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि सियार मरा या जिंदा है. बस इतना महसूस हुआ कि उनकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा और हाथ से साड़ी की पकड़ ढीली हो गई. जब होश आया और खुद को अस्पताल के बिस्तर पर जिंदा पाया तो यह उनके लिए भी किसी चमत्कार से कम नहीं था. आज पूरे इलाके में सुरजिया बाई की बहादुरी की चर्चा हो रही है. लोग हैरान हैं कि 65 साल की एक महिला कैसे निहत्थे होकर जंगल के खूंखार सियार से आधे घंटे तक जंग लड़ी और आखिरकार उसे मौत के घाट उतार दिया. यह कहानी सिर्फ साहस की नहीं बल्कि उस जज्बे की भी है जो इंसान को जिंदा रहने की ताकत देता है.
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