'बुलडोजर वाला इंसाफ' कब तक ? उज्जैन में 'कुल्ला' करने के आरोपियों को मिली जमानत से उठे सवाल

बुलडोजर का इंसाफ कितना गलत होता है इसका ताजा उदाहरण है उज्जैन शहर में महाकाल की सवारी के दौरान कथित तौर पर थूकने का केस...जिन पर आरोप था उनके घर बिना अदालती जिरह के ढहा दिए गए और अब अदालत ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी है क्योंकि शिकायकर्ता ने ही आरोपी को पहचानने से इनकार कर दिया. उधर आरोपियों को जमानत मिल जाने के बाद मध्यप्रदेश पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है

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Ujjain Crime News: बुलडोजर का इंसाफ कितना गलत होता है इसका ताजा उदाहरण है उज्जैन शहर में महाकाल की सवारी के दौरान कथित तौर पर थूकने का केस...जिन पर आरोप था उनके घर बिना अदालती जिरह के ढहा दिए गए और अब अदालत ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी है क्योंकि शिकायकर्ता ने ही आरोपी को पहचानने से इनकार कर दिया. उधर आरोपियों को जमानत मिल जाने के बाद मध्यप्रदेश पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है लेकिन सवाल ये है कि जिनका आशियाना टूटा क्या वो उन्हें वापस मिलेगा? हालांकि आरोपियों के पिता बोल रहे हैं कि जो हुआ सो हुआ मेरे बच्चों को तो जमानत मिल गई. 

मामला 17 जुलाई 2023 को उज्जैन शहर का है. महाकाल की सवारी निकल रही थी. तभी सावन लोट नाम के शख्स ने आरोप लगाया कि अशरफ हुसैन के दो बच्चों और दूसरे लोगों ने छत से सवारी पर थूका है. मामला संवेदनशील था लिहाजा पुलिस ने  2 नाबालिग सहित तीन बच्चों पर 5 धाराओं में FIR दर्ज कर लिया.

उसके अगले ही दिन पुलिस-प्रशासन ढोल डीजे के साथ अशरफ के घर पहुंचा और उसके तीन मंजिला मकान को बुलडोजर की सहायता से ढहा दिया. बाद में पुलिस ने तीनों आरोपियों को पकड़कर जेल भी भेज दिया. केस की सुनवाई  मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की  इंदौर खंडपीठ में हुई. जहां आज यानी 17 जनवरी को  जस्टिस अनिल वर्मा की कोर्ट ने आरोपी ने 18 साल के आरोपी अदनान को जमानत दे दी. इससे पहले दो नाबालिग आरोपियों को भी जमानत मिल चुकी है.  पुलिस ने दावा किया कि सावन लोट की शिकायत पर उसने 18 साल के अदनान और 2 नाबालिगों पर एफआईआर दर्ज की थी. अब सावन लोट का कहना है कि वो एक आरोपी को नहीं पहचानते लेकिन दो दूसरे आरोपियों को जानते हैं जिनके खिलाफ वे गवाही भी देंगे. 

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उस लड़के को नहीं जानता है जिसका मुझे वीडियो दिखाया गया था.जेल से कोर्ट में डायरेक्ट वीडियो कॉल हुई थी उसमें दिखाया था ,मैं उसको साफ़-साफ़ जानता नहीं हूँ ,इसलिए मैंने पहचानने से मना भी कर दिया. मैं आवेदन देने ख़ुद गया था प्रशासन के पास. मकान नहीं तोड़ना था इनको व्यवस्थित सज़ा मिली थी.

सावन लोट

शिकायतकर्ता 

हालांकि अदालत में दिये गये बयान में सावन ने पुलिस की थ्योरी, जांच और उसके बयान सबपर खुद सवाल उठाये थे जो इन दस्तावेजों में दर्ज हैं. दूसरी तरफ मामले में अधिवक्ता देवेंद्र सिंह सेंगर का कहना है कि इस केस में दो मुख्य गवाह थे. जो मुख्य गवाह था उसने घटना को देखने और FIR में जो कंटेंट लिखा था उन दोनों से साफ़ इंकार कर दिया. गवाह का कहना है कि पुलिस ने उससे दस्तख़त करवा लिए थे. सावन लोट के अलावा जो दूसरा चश्मदीद गवाह था अजय खत्री वो भी आरोपियों को नहीं पहचान पाया. 

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पुलिस को धार्मिक मामलों में काफ़ी सोच-समझ कर इन्वेस्टिगेशन करना चाहिए .अपराध दर्ज हुआ उसके बाद उनके मकान को भी आपने तोड़ दिया ये थोड़ा ही ग़लत मैसेज जाता है. इससे प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न उठता है अब होस्टाइल होने के बाद बच्चों की इनोसेंट वाली स्थिति आ गई है. 

देवेंद्र सिंह सेंगर

अधिवक्ता

इस पूरे केस में अशरफ शेख का दर्द समझा जा सकता है. उनके ही बच्चे इस केस में फंसे थे. उनका घर टूट गया है लेकिन वे बेटे की जमानत पर खुश हैं. 

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मैं किसी से कुछ कहना नहीं चाहता नहीं हूँ,बच्चों की बेल हो गई है ,अब बच्चे बरी हो जाने चाहिए बस यही चाहता हूँ. बाक़ी जो कुछ हुआ उससे मुझे कोई मतलब नहीं है.घर आज टूटा है तो फिर बन जाएगा. मुझे अब आगे वहां पर दुकान चलानी है.

अशरफ शेख

पीड़ित

अदनान को जमानत मिलने के बाद उज्जैन के खारा कुआं थाने की पुलिस साफ-साफ कुछ कहने से बच रही है. थाने के उप निरीक्षक लिवान कुजूर का कहना है कि बेल किस कारण से हुई है ये तो अदालत का मसला है. हमें सिर्फ यही जानकारी है कि महाकाल की सवारी पर थूकने का मामला था. फिलहाल केस चल रहा है लिहाजा इस मामले में हम कुछ भी नहीं कह सकते हैं. 

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