World Record in Plantation: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने 12 घंटे के भीतर 12 लाख से अधिक पेड़ लगाकर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड (Tree Plantation World Record) बना दिया. शहर ने ये ऐतिहासिक उपलब्धि जनभागीदारी से हासिल की. लेकिन क्या आप जानते हैं कीर्तिमान से इतर इंदौर को बड़े पैमाने पर पौधरोपण की वाकई जरुरत थी. यहां पानी सर के ऊपर चला गया था. इसी वजह से सरकार और जनता की भागीदारी भी संभव हो पाई. आइए जानते हैं ऐसे कौन से फैक्टर थे जिन्होंने इंदौर में पौधरोपण की जमीन तैयार की. मशहूर गजल है सुबह-ए-बनारस...शाम-ए-अवध...शब-ए-मालवा.... इसका मतलब है बनारस की सुबह, अवध (लखनऊ) की शाम और मालवा की रात बेहतर होती है. लेकिन वक्त गुजरने के साथ मालवा की रात गर्म होती गईं. इंदौर भी मालवा क्षेत्र में ही आता है. यहां आज से 50 साल पहले मई महीने में अधिकतम तापमान 37-38 डिग्री के आसपास होता था जो अब 42 से 43 डिग्री तक पहुंच गया है.
दरअसल इंदौर में हालात यूं ही नहीं बिगड़े शहर का जैसे-जैसे विकास और विस्तार होता गया यहां हरियाली कम होती गई. 1951 में जहां इंदौर में एक व्यक्ति के मुकाबले 10 से 12 पेड़ हुआ करते थे वो साल 2024 में घटकर 3 लोगों पर एक पेड़ हो चुकी है. मतलब हमने अपने विकास के लिए खूबसूरत शहर इंदौर की हरियाली को पूरी तरह से नजरअंदाज ही कर दिया. तभी तो शिप्रा नदी के बेसिन इलाके में बसे शहर इंदौर में पानी का स्तर 500 फीट से भी नीचे चला गया है.
बहरहाल अब लगता है कि इंदौर अपनी गलती को सुधार रहा है. शहर ने सरकार की भागीदारी से 51 लाख पौधे लगाने का अभियान शुरू किया है. खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने यहां एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पीपल का पेड़ लगाया है. पीपल के पेड़ की खासियत है कि ये 24 घंटे ऑक्सीजन देता है. अब देखना ये है कि इंदौर शहर 51 लाख पौधे लगाने का रिकॉर्ड कब तक हासिल करता है. सवाल ये है भी स्वच्छता में नंबर वन इंदौर हरियाली में भी देश में नंबर-वन हो सकता है क्या?
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