Good News: देश के पहले दो शहर इंदौर-भोपाल बनेंगे वेटलैंड सिटी, पर्यावरण मंत्री ने कहा भेजा है प्रस्ताव

Wetland City of India: इंदौर स्थित सिरपुर वेटलैंड एक मानव निर्मित वेटलैंड है, जिसे पिछली दो शताब्दियों में प्राकृतिक विशेषताओं के साथ विकसित किया गया है. आमतौर पर पक्षी विहार (पक्षी अभ्यारण्य) नाम से प्रसिद्ध यह स्थल एक उथली, क्षारीय, पोषक तत्वों से भरपूर झील है.

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MP News: देश में भोपाल (Bhopal) एवं इंदौर (Indore) पहले दो शहर हैं, जिन्होंने वेटलैंड सिटी (Wetland City) के रूप में अधिमान्यता के लिए प्रस्ताव दिया है. यह जानकारी राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की चौथी बैठक में दी गई. पर्यावरण एवं वन मंत्री (Environment and Forest Minister) रामनिवास रावत (Ram Niwas Rawat) ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए नदी, तालाबों के किनारों पर पौधे लगाने और नदी-तालाब को शहर के सीवेज से प्रदूषित होने से रोकने के निर्देश दिए. रावत ने कहा कि मध्यप्रदेश नदी तालाबों से एक संपन्न राज्य है. सरकार और समाज को मिलकर तालाबों का संरक्षण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य शासन तालाबों के समुचित संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. जल स्रोतों का बचाना राज्य शासन की उच्च प्राथमिकता है.

इन्हें किया सम्मानित

मंत्री रावत ने राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया. शफा एस मावल द्वारा डिजाइन किए गए प्रतीक चिन्ह को प्रथम पुरुस्कार 50000 रुपए की राशि एवं अबीनो साइमन को द्वितीय पुरुस्कार 25000 रुपए की राशि के लिए अनुशंसित किया गया.

सिरपुर वेटलैंड

इंदौर स्थित सिरपुर वेटलैंड एक मानव निर्मित वेटलैंड है, जिसे पिछली दो शताब्दियों में प्राकृतिक विशेषताओं के साथ विकसित किया गया है. आमतौर पर पक्षी विहार (पक्षी अभ्यारण्य) नाम से प्रसिद्ध यह स्थल एक उथली, क्षारीय, पोषक तत्वों से भरपूर झील है.

यह लुप्तप्राय प्रजातियों सहित पौधों और जानवरों को संरक्षण देती है. यह लगभग 175 स्थलीय पौधों की प्रजातियों, छह मैक्रोफाइट्स, 30 प्राकृतिक और मछली प्रजातियों, आठ सरीसृपों और उभयचरों के जीवन के लिए जरुरी व अनुकूलनीय पर्यावरण उपलब्ध कराती है.

सर्दियों के मौसम में जलीयपक्षी यहां आते हैं. करीब 130 पक्षी प्रजातियों को यहां देखा गया है. इनमें कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना), मिस्र का गिद्ध (नियोफ्रॉन पर्कनोप्टेरस) और इंडियन रिवर टर्न (स्टर्ना ऑरेंटिया) शामिल हैं. सिरपुर वेटलैंड आसपास रहने वाले समुदायों को मत्स्य पालन और औषधीय पौधों की गतिविधियों से जोड़ता है. बाढ़ को रोकता है. स्थानीय लोग शांति, मनोरंजन और पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा के लिए यहां आते हैं.

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