GI Tag for Gond Art: मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति (Gond Tribe) की अपनी विशिष्ट चित्रकला पद्धति को अब विश्व पटल पर विशेष पहचान मिल गई है. गोंड चित्रकला (Gond Painting) को बौद्धिक संपदा के संरक्षण के तय मानकों में सफल पाया गया है. इससे गोंड चित्रकला को जियोग्राफिकल इंडीकेशन (Geographical Indication) यानी जीआई टैग (GI Tag) मिल गया है. यह प्रदेश की जनजातीय चित्रकारी (MP Tribal) को वैश्विक स्तर पर मिली मान्यता का प्रमाण है. जनजातीय कार्य विभाग के अधीन कला संबंधी कार्यों के विकास, विस्तार एवं संरक्षण के लिये वन्या प्रकाशन कला साहित्य संकलन, प्रकाशन एवं प्रमाणन का कार्य करती है. वन्या की ओर से प्रदेश की गोंड चित्रकारी के वैशिष्ट्य एवं कला सौंन्दर्य को मान्यता दिलाने जीआई टैग के लिये प्रस्ताव भेजा गया था. पुरातन कला संपदा होने एवं सभी मानकों में खरी पायी जाने पर गोंड चित्रकारी को जीआई टैग से नवाजा गया है.
Witness the magic of Gond art come to life with vivid hues and intricate patterns. Created by the Gond tribes of #MadhyaPradesh, this captivating artwork reflects their deep connection with nature and folklore. pic.twitter.com/kgH8uVpYog
— Culture Department Madhya Pradesh (@culturempbpl) August 19, 2024
अब गोंड पेंटिंग के लिए लेनी होगी अनुमति
वन्या प्रकाशन के प्रभारी अधिकारी नीतिराज सिंह ने बताया कि जीआई टैग मिलने से अब गोंड चित्रकारी को राज्य की धरोहर के रूप में पेटेन्ट कर दिया गया है. इससे अब गोंड चित्रकला को बिना अनुमति के व्यावसायिक एवं प्रकाशन सामग्री के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकेगा. जीआई टैग मिलने के बाद वन्या गोंड चित्रकारों को उनकी चित्रकला बेचने के लिये एक वेबसाइट बनाकर ई-कॉमर्स प्लेटफार्म मुहैया कराएगी.
Gond painting
— Culture Department Madhya Pradesh (@culturempbpl) November 5, 2023
VC: https://t.co/j9wznCWRHF#TribalArt #GondArt #IncredibleIndia #IndianArt #HandPainted pic.twitter.com/D83lqXj78g
इस वेबसाइट में वन्या के प्राधिकृत पत्रधारी गोंड कलाकार अपनी चित्रकला को अपलोड करेंगे. क्रेता अपनी पसंद चुनकर ऑर्डर करेंगे. यह ऑर्डर वन्या तक पहुंचेगा और वन्या संबंधित गोंड कलाकार को वह पेंटिंग उपलब्ध कराने की सूचना कूरियर सर्विस के जरिये देगी. सूचना मिलने पर गोंड कलाकार उसी कूरियर सर्विस से क्रेता को पेंटिंग की आपूर्ति करेगा. क्रेता पेंटिंग का भुगतान वन्या को करेगा और वन्या संबंधित गोंड कलाकार के खाते में राशि हस्तांतरित करेगा.
With an exquisite history of rich art and culture, Madhya Pradesh is home to many renowned tribal art forms, handicrafts, folk songs and dance. The paintings like Gond, Pithora, Mandana, Chitravan and Panna celebrate every form of nature. Watch video to know more.#MPTourism pic.twitter.com/1Q9hdmDxO6
— Madhya Pradesh Tourism (@MPTourism) September 15, 2019
इनके लिए भी भेजा गया है प्रस्ताव
इन जनजातीय कला व उत्पादों में क्रमश: चित्रकला पिथौरा (भील चित्रकारी- झाबुआ व अलीराजपुर), काष्ठ शिल्प मुखौटा (बैगा जनजाति), हस्तशिल्प आदिवासी गुड़िया (झाबुआ व अलीराजपुर), वाद्य यंत्र बाना (परधान जनजाति- डिंडौरी), वाद्य यंत्र चिकारा (बैतूल), हस्तशिल्प बोलनी (झाबुआ व अलीराजपुर) एवं हस्तशिल्प पोतमाला - गलशनमाला (झाबुआ व अलीराजपुर) को जीआई टैग के लिये भेजा गया था. टेक्सटाईल कमेटी, मुम्बई द्वारा जीआई टैगिंग की कार्यवाही के लिये इन उत्पादों से संबंधित शोध कार्य किया गया. भेजे गये आवेदनों को जीआई चेन्नई में जमा कर दिया गया है.
सरकार कर रही है संवेदनशील प्रयास
गोंड चित्रकला के संरक्षण के लिये राज्य सरकार द्वारा हर स्तर पर संवेदनशील प्रयास किये जा रहे हैं. गोंड चित्रकला और इस कला महारत हासिल करने वालों, दोनों को प्रतिष्ठित करने के लिये सरकार ने विशेष कदम उठाये हैं. गोंड चित्रकला के अग्रणी साधक स्व जनगण सिंह श्याम की पुण्य-स्मृति में डिण्डोरी जिले के पाटनगढ़ में एक 'कला केन्द्र' स्थापित किया जा रहा है. साथ ही प्रदेश की सभी 'पारम्परिक कलाओं के गुरूकुल' की स्थापना छतरपुर जिले के खजुराहो में की जाएगी. यह पारम्परिक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में देश का पहला गुरूकुल होगा.
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