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कभी ठेला लगाकर बेचते थे सब्जी, अब MP PSC में हुआ सिलेक्शन... कहानी जानकर हो जाएंगे भावुक 

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कभी ठेला लगाकर बेचते थे सब्जी, अब MP PSC में हुआ सिलेक्शन... कहानी जानकर हो जाएंगे भावुक 
कभी ठेला लगाकर बेचते थे सब्जी, अब MP PSC में हुआ सिलेक्शन

साल 2023 के आखिर में MP PSC 2019 (Madhya Pradesh Public Service Commission) का फाइनल रिजल्ट जारी किया गया था. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आज गुरुवार को रविंद्र भवन में MP PSC 2019 और 2020 के चुने गए उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे. यूं तो कुल 472 उम्मीदवारों ने MP PSC 2019 की परीक्षा को क्लियर करते हुए तमाम विभागों में अपनी जगह बनाई है. लेकिन इन अभ्यर्थियों में एक उम्मीदवार ऐसे भी रहे जिन्होंने साबित कर दिखाया कि यदि कुछ कर गुजरने की चाह हो तो इंसान के लिए परेशानियां मायने नहीं रखती... अपनी मेहनत के दम पर पहली ही बारी में MP PSC 2019 क्लियर करने वाले राम सोलंकी को उद्योग विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर का पद मिला है. राम सोलंकी मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले हैं.  राम सोलंकी लॉकडाउन के समय रोड के किनारे ठेला लगाकर सब्जियां बेचा करते थे. उन्हें अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए भी उधार मांगना पड़ता था. MP PSC 2019 क्लियर कर उद्योग विभाग में अपनी जगह बनाने वाले राम सोलंकी ने NDTV से बातचीत की. हमसे बातचीत करते समय राम ने अपनी प्रेरणादायी कामयाबी से जुड़ी कई बातें बताई. 

NDTV से बात करते हुए राम सोलंकी समेत उनके माता-पिता

NDTV से बात करते हुए राम सोलंकी समेत उनके माता-पिता

दरअसल, हरदा जिले के सोडलपुर गांव के रहने वाले राम सोलंकी ने MP PSC 2019 की परीक्षा में सफलता हासिल की है. PSC 2019 की परीक्षा 12 जनवरी 2020 को हुई थी. PSC का प्रीलिम्स का एग्जाम 12 जनवरी 2020 को हुआ था. वहीं, 29 मार्च 2021को इसका मेंस का एग्जाम हुआ था. पिछले दिनों ही इस परीक्षा का रिजल्ट आया है जिसमें कुल 472 उम्मीदवारों ने कामयाबी हासिल की. वैसे यह भी कहना गलत नहीं होगा कि इन तमाम उम्मीदवारों की सफलता के पीछे भी अपनी-अपनी संघर्ष की कहानी रही होगी. 

राम सोलंकी ने की NDTV से बात 

उद्योग विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर अपनी जगह बनाने वाले राम एक गरीब घर से ताल्लुक रखते हैं. राम रोड किनारे ठेला लगाकर सब्जियां बेचा करते थे. राम के पास कोचिंग के पैसे नहीं थे. ऐसे में उनके मददगार बने एक बैंक के मैनेजर ने काफी सहयोग किया. राम की प्रतिभा को देखते हुए मंगेश सोलंकी ने उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया. इसी बीच लगभग 5 साल तक मंगेश सोलंकी ने राम की पूरी पढ़ाई और कोचिंग का खर्च उठाया जिसके नतीजे में राम ने पहले बारी में ही MP PSC 2019 की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. NDTV से बात करते हुए राम सोलंकी ने कहा कि

मुझे अपने पिताजी को देखकर प्रेरणा मिली...मेरे पिताजी रात 12:00 बजे सोते हैं और सुबह 3:00 बजे उठ जाते हैं. मेरे गांव की हरदा से 15 किलोमीटर की दूरी है, मेरे पिताजी दिन भर दिहाड़ी करते थे और सिर्फ 3 घंटे सोते थे एक हजार रुपए की बिक्री होती थी जिसमें से ₹300 का नेट प्रॉफिट होता था. सिर्फ ₹300 के लिए इतनी मेहनत करना, डेढ़ कुंडल वजन के साथ ठेले को धकाना... हमारा 11 लोग का परिवार था...  और कमाने वाला पिताजी के अलावा कोई नहीं था. ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों ना ऐसी चीज सोचूं... जो मेरे माता-पिता जी को सम्मान दे और मुझे पैसे भी दें. तब मैंने MP PSC एग्जाम को निकालने की ठानी, आज मैं एक बात बोलना चाहता हूं "इंसान जब जोर लगाता है तो पत्थर भी पानी बन जाता है". 

राम सोलंकी

असिस्टेंट डायरेक्टर ( MP उद्योग विभाग)

इंसान जब जोर लगाता है तो पत्थर भी...

राम ने बताया कि उनके पिताजी के अलावा मंगेश सोलंकी भी उनके प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं. राम के पास जब पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए पैसे नहीं थे तो मंगेश सोलंकी ने उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया. उस समय राम की उम्र 21 साल थी राम बताते हैं कि उनके घर में टेबल कुर्सी नहीं थी. आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस के लिए गांव के सरकारी स्कूल में रविवार के दिन जाकर वहां के टेबल कुर्सी का इस्तेमाल कर टेस्ट देते थे. लॉकडाउन में पूरी तरह से पढ़ाई छूट गई थी. ऐसे में उन्होंने सब्जी बेचकर मजदूरी की मंगेश सोलंकी हरदा में यूनियन बैंक के मैनेजर थे. राम की पढ़ाई का पूरा खर्चा उन्होंने उठाया. राम बचपन से ही प्रतिभाशाली थे. उन्होंने 12वीं की परीक्षा में 92% अंक हासिल किए थे. राम ने साल 2015 में पैसों के अभाव में पढ़ाई छोड़ी और 3 साल तक 2015 से लेकर 2018 तक अपने पापा के साथ सब्जी बेची. राम ने BSC की परीक्षा पास करने के बाद MP PSC की परीक्षा दी.

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साल 2019 मे राम हरदा की यूनियन बैंक पहुंचे जहां पर उन्होंने मैनेजर से कोचिंग के लिए लोन लेने की बात कही. जिस पर मैनेजर ने उनको मज़ाकिया लहजे में कहा कि हम कोचिंग के लिए लोन नहीं देते हालांकि मैनेजर ने राम की प्रतिभा को भांपते हुए उन्हें प्राइवेट स्पॉन्सरशिप दी. ये वह मैनेजर मंगेश सोलंकी थे जिनकी वजह से राम ने 5 साल तक अपनी पढ़ाई की और वह MP PSC की कोचिंग करने के बाद सेलेक्ट हो सका. मंगेश सर ने ही राम को पढ़ने के लिए इंदौर भेजा था. 

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