Free Ration Scheme Corruption: जहां एक ओर प्रदेश की मोहन सरकार गरीबों की थाली तक दो वक्त की रोटी पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, वहीं खाद्य आपूर्ति मंत्री के ही जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है. जांच में ऐसे कई नाम सामने आए हैं, जिनके पास GST नंबर रजिस्टर्ड हैं. वो कई फर्मों के डायरेक्टर हैं या अच्छी आय होने के बावजूद मुफ्त राशन ले रहे थे. अब खाद्य विभाग ने इस पूरे मामले में सख्ती दिखाते हुए इन सभी को नोटिस जारी कर उनकी राशन पात्रता पर्चियां निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
67% आबादी मुफ्त राशन ले रही, करोड़पति तक सूची में शामिल
सागर जिले में 4 लाख 81 हजार 455 परिवारों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है. इन परिवारों के सदस्यों की संख्या 18 लाख 73 हजार 760 है. यानी जिले की कुल आबादी में से लगभग 67 प्रतिशत लोग मुफ्त राशन ले रहे हैं, जबकि शासन की मंशा इसे केवल गरीब परिवारों तक सीमित रखने की है.
हर माह 20 करोड़ से ज्यादा का खाद्यान्न बांटा जा रहा
विभाग के अनुसार जिले में प्रति व्यक्ति हर महीने 4 किग्रा गेहूं और 1 किग्रा चावल दिया जाता है. इस हिसाब से हर माह—74,950 क्विंटल गेहूं और 18,737 क्विंटल चावल की आवश्यकता होती है. बाजार दरों के अनुसार अकेले सागर जिले में हर माह करीब 20 करोड़ 61 लाख रुपए का मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है. वहीं पूरे प्रदेश की बात करें तो हर महीने 5.34 करोड़ लोगों को लगभग 587 करोड़ रुपये कीमत का राशन दिया जा रहा है, जिसमें 427 करोड़ रुपये का गेहूं और 160 करोड़ रुपये का चावल शामिल हैं.
4475 लोगों को नोटिस, शहर में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
खाद्य विभाग ने जिले के 4475 परिवारों को नोटिस जारी किए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 1407 परिवार सागर नगर निगम क्षेत्र के हैं. जांच में पाया गया कि 86 फर्म डायरेक्टर मुफ्त राशन ले रहे थे. 26 लोगों का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपये से अधिक है. वहीं 1252 लोगों की आय 6 लाख रुपये से ज्यादा है... फिर भी ये सभी खुद को गरीब बताकर मुफ्त अनाज ले रहे थे.
विभाग की सख्ती शुरू
खाद्य विभाग ने कहा है कि जिन भी लोगों की आय पात्रता सीमा से अधिक पाई गई है, उनकी राशन पर्चियां निरस्त की जा रही हैं और आगे ऐसे मामलों की पड़ताल लगातार जारी रहेगी. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चल रहे इस फर्जीवाड़े ने शासन की कल्याणकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब देखना है कि कार्रवाई कितनी तेज और कितनी प्रभावी होती है.
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