Gwalior News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ और कुल 28 मंत्रियों ने शपथ ली. नए कैबिनेट में ग्वालियर (Gwalior) चंबल अंचल से चार मंत्री बनाए गए हैं. नारायण सिंह कुशवाह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राकेश शुक्ला, एंदल सिंह कंसाना कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. लेकिन इसकी एक खास वजह भी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसके जरिए जातिगत तरीके से लोकसभा चुनावों की चौसर बिछाने का काम भी किया है.
नारायण सिंह कुशवाह
ग्वालियर से कैबिनेट मंत्री बनने वाले नारायण सिंह कुशवाह को करीब ढाई दशक से बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिना जाता है. उनकी सियासी पारी की शुरुआत ग्वालियर नगर निगम में पार्षद पद का चुनाव लड़कर हुई थी. पार्टी ने उन्हें टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए लेकिन उन्होंने अगला चुनाव नहीं लड़ा. इसके बाद भी वह पार्टी के लिए लगातार काम करते रहे. 2003 में बीजेपी ने उन्हें ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट से टिकट दिया था. कठिन मुकाबले के बाद भी कुशवाह ने शानदार जीत हासिल की थी. इसके बाद वह लगातार चुनाव जीतते रहे लेकिन 2018 के चुनाव में वह कांग्रेस के एक युवा चेहरे प्रवीण पाठक से सिर्फ 121 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए. इसके बाद भी उन्हें पिछड़ा वर्ग मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन का काम सौंपा गया. 2023 में पार्टी ने एक बार फिर इन पर दांव लगाया और इस बार उन्होंने शानदार जीत हासिल की.
प्रद्युम्न सिंह तोमर
प्रद्युम्न सिंह तोमर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें 2008 में कांग्रेस ने ग्वालियर सीट से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने शानदार जीत हासिल की लेकिन 2013 में वह भाजपा के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवैया से चुनाव हार गए लेकिन 2018 में उन्होंने पवैया को तगड़ी शिकस्त दी. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उन्हें कमलनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया. 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में तोमर ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद शिवराज सिंह के नेतृत्व में बनी बीजेपी की सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और ऊर्जा मंत्री बनाया गया. 2020 के उप चुनाव में और फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने ग्वालियर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में शानदार जीत दर्ज की.
राकेश शुक्ला
भिंड जिले की मेंहगांव सीट से तीसरी बार विधायक बने राकेश शुक्ला पहली बार मंत्री बने हैं और उन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. पुराने जनसंघी स्व. शिवकुमार शुक्ला के बेटे राकेश शुक्ला 1998 में पहली बार चुनाव जीते लेकिन 2003 में हार गए. इसके बाद 2008 में वह फिर एक बार विधायक बने लेकिन 2013 में उनका टिकट काटकर मुकेश चौधरी को दे दिया गया तो उन्होंने बगावत कर दी लेकिन वह चुनाव हार गए. 2018 में इस सीट से कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया जीते, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए. भदौरिया को भाजपा ने 2020 के उप चुनाव में उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की. लेकिन 2023 के चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काटकर राकेश शुक्ला को मैदान में उतारा और राकेश शुक्ला ने यहां से शानदार जीत हासिल की. भाजपा के टिकट पर ग्वालियर-चंबल से जीतने वाले वह इकलौते ब्राह्मण विधायक हैं इसलिए उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा था. पार्टी ने ब्राह्मण वोटों को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया है.
एंदल सिंह कंसाना
चंबल अंचल की मुरैना जिले की सुमावली सीट से भाजपा विधायक एंदल सिंह कंसाना को भी डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया है. 1993 और 1998 में बहुजन समाज पार्टी से जीतकर विधानसभा पहुंचे कंसाना इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कहने पर कांग्रेस में शामिल हो गए और 2003 में उन्हें दिग्विजय मंत्रिमंडल में स्थान भी मिला. लेकिन अगले चुनाव यानी 2008 में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते लेकिन 2013 में हार गए. 2018 में वह फिर जीते लेकिन 2020 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा जॉइन कर ली. भाजपा ने विधायक न होते हुए भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया लेकिन भाजपा के टिकट पर उन्होंने उपचुनाव लड़ा और वह हार गए. 2023 में वह जीते और अब कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.