भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी और मध्य प्रदेश के डीजीपी (Madhya Pradesh DGP) रहे विजय रमन का निधन हो गया. विजय रमन कुछ समय से महाराष्ट्र के पुणे में रह रहे थे जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उन्होंने चंबल के कुख्यात डकैत पान सिंह तोमर और जम्मू कश्मीर के आतंकवादी गाजी बाबा का एनकाउंटर किया था. मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और जम्मू कश्मीर में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं थी. विजय रमन जम्मू कश्मीर के सुरक्षा सलाहकार (Jammu Kashmir Security Adviser) भी रह चुके हैं. उनकी आखिरी पोस्टिंग CRPF के स्पेशल DG की थी. रमन विजय को उनकी सेवाओं के लिए तीन बार राष्ट्रपति सम्मान भी मिल चुका है.
पान सिंह तोमर को मुठभेड़ में मारा
अस्सी के दशक में ग्वालियर चंबल अंचल में डाकू समस्या चरम पर थी, तब मध्य प्रदेश सरकार ने 1975 बैच के आईपीएस विजय रमन जैसे युवा अफसर को भिण्ड जिले में बतौर एसपी तैनात किया था. उन्होंने यहां एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 1 अक्टूबर 1981 को गोहद क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में देश के सबसे चर्चित डकैत पान सिंह तोमर (Paan Singh Tomar) को मार गिराने में सफलता हासिल की थी. इस डकैत पर तिग्मांशु धूलिया ने बहुचर्चित फिल्म पान सिंह तोमर भी बन चुकी है. जिसके लिए इरफान खान को सम्मान भी मिला था.
डर के चलते डकैतों ने CM से रखी विजय रमन के तबादले की शर्त
पान सिंह तोमर समेत कई डाकुओं के लगातार हो रहे सफाए के बाद चंबल में डकैतों के बीच IPS विजय रमन का खौफ बढ़ता जा रहा था. जिसके बाद डाकुओं ने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह तक आत्मसमर्पण का प्रस्ताव भिजवाया था, लेकिन उसमें शर्त यह रखी गई थी कि सबसे पहले भिण्ड के एसपी विजय रमन का तबादला किया जाए. उनके तबादले के बाद राजेन्द्र चतुर्वेदी को एसपी बनाया गया और 1982 में मलखान सिंह और 1983 में फूलन देवी जैसे डकैतों ने भिण्ड में तत्कालीन मुख्यमंत्री के सामने आत्मसर्पण किया.
आतंकी गाजी बाबा को मुठभेड़ में मार गिराया
भारत सरकार ने विजय रमन को आतकंवाद के सफाये का टास्क देकर कश्मीर भेजा था. जिसके बाद अगस्त 2003 में जम्मू कश्मीर में अपनी सेवाएं देते हुए IPS विजय रमन ने कुख्यात आतंकवादी गाजी बाबा को मार गिराने में कामयाबी हासिल की थी. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और जम्मू कश्मीर में एसपी से लेकर डीजीपी जैसे पदों पर काम कर चुके विजय रमन की गिनती उन चुनिंदा पुलिस अफसरों में की जाती है जो सदैव अपनी जांबाजी के लिए चर्चित रहे हैं.
राजीव गांधी की सुरक्षा प्रभारी भी रहे
1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार ने विजय रमन को सौंपी. उस समय उन्हें प्रधानमंत्री राजीव का मुख्य सुरक्षा सलाहकार बनाकर तैनात किया गया था.
तीन बार मिल चुका है राष्ट्रपति सम्मान
IPS विजय रमन को तीन बार राष्ट्रपति पदक (President Honours Award) मिल चुका है. 2009 में उन्हें नक्सलियों के सफाये के लिए बनी खास टीम का प्रभारी बनाया गया था. अपनी जांबाजी और ईमानदार अफसर की छवि को जीवन भर बरकरार रखने वाले विजय रमन कुछ समय से महाराष्ट्र के पुणे में रह रहे थे जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद एमपी पुलिस (Madhya Pradesh Police) में शोक की लहर फैल गई है.
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