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ITMS Challan: न वीआईपी बचे न कॉमन मैन! यहां कट गए 56 हजार ई-चालान, जमा हुआ इतने करोड़ का रेवेन्यू

Intelligent Traffic Management System: ITMS से ट्रैफ़िक नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है. ट्रैफ़िक की स्थिति के बारे में वास्तविक समय की जानकारी मिलती है. ट्रैफ़िक से जुड़े जोखिम कम होते हैं. यात्रियों का यात्रा समय कम होता है और यात्रियों की सुरक्षा और आराम बढ़ता है.

ITMS Challan: न वीआईपी बचे न कॉमन मैन! यहां कट गए 56 हजार ई-चालान, जमा हुआ इतने करोड़ का रेवेन्यू

e-Challan Payment: ट्रैफिक नियमों (Traffic Rules) का उल्लंघन करने वाले लोगों के पर स्मार्ट सिटी का इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) नकेल कस रहा है. स्मार्ट सिटी (Smart City) परिकल्पना के तहत सतना शहर में लागू होने के बाद अब तक 56 हजार ई चालान (e-Challan) काटे गए. जिसके बाद सरकार के खजाने में 2.23 करोड़ रुपए जमा हुए. शहरी क्षेत्र पर लागू होने के बाद बहुत हद तक गेम चेंजर साबित हुआ है. इससे लोगों में ट्रैफिक रूल्स के लिए जिम्मेदार व्यवहार की आदत डालने में मदद मिल रही है. यह सड़कों से जाम की समस्या को भी दूर कर सकता है. हालांकि सतना शहर में अभी निर्माण कार्यों और विकास कार्यों के चलते यातायात सुगम नहीं हो पा रहा है, लेकिन लोगों में ट्रैफिक सेंस जगाने में ITMS अहम भूमिका निभा कर रहा है. जिसका असर यह हुआ कि ट्रैफिक पुलिस को आफ-रोल चालानी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं पड़ रही. पिछले तीन साल में ई-चलानी कार्यवाही के तहत रेड लाइट वॉयलेशन, ट्रिपल राइडिंग, नो हेलमेट सहित मिलाकर 56 हजार ई चालान काटे जा चुके हैं. कमाल की बात यह है कि इस सिस्टम की कार्यवाही से न वीआईपी बच सके और न जन सामान्य.

कैसे काम करता है आईटीएमएस?

इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम ट्रैफिक समस्या से निपटने का तरीका है. इसके लिए कनेक्टेड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है. यह सड़कों पर सेफ्टी लाने में मदद करता है. साथ ही कंजेशन को घटाता है. इसके लिए ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन एंड डेटा कलेक्शन (एआईडीसी) टैग, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग, एयर क्वालिटी सेंसर और टेम्परेचर सेंसर जैसे कई इंटीग्रेटेड सेंसर का उपयोग किया जाता है. एडवांस वीडियो डिटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल रियल टाइम इनसाइट पाने के लिए होता है. इसके लिए एचडी फुटेज और छवियों का उपयोग किया जाता है. ये ट्रैफिक से जुड़ी समस्याओं को हल करते हैं. ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन सिस्टम का अहम अंग है. यह वाहनों की लाइसेंस प्लेट से नंबरों को पहचानने और निर्धारित करने के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर) तकनीक का उपयोग करता है. सीसीटीवी कैमरों के जरिये ट्रैफिक उल्लंघनों को पकड़ने के लिए स्पीड वॉयलेशन डिटेक्शन सिस्टम और रेड लाइट वॉयलेशन डिटेक्शन सिस्टम का भी इस्तेमाल होता है.

ट्रैफिक के बारे में मिलता है एक-एक अपडेट

एडैप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (एटीसीएस) आईटीएमएस का इंटर्नल कंपोनेंट है. टेक्नोलॉजी से शहर में यातायात के मुक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद मिलती है. यह हर एक सड़क पर ट्रैफिक वॉल्यूम को कैप्चर करता है. फिर अपने इंटिलिजेंस के आधार पर ट्रैफिक सिग्नल का समय तय कर देता है. इससे शहर में ट्रैफिक के बारे में रियल टाइम जानकारी मिलती है. डिजिटल इनफॉर्मेशन बोर्डों के जरिये जनता तक जानकारी पहुंचाती है. एटीसीएस को लागू करने के लिए एडैप्टिव ट्रैफिक कंट्रोलर, वीकल डिटेक्शन कैमरा और सॉफ्टवेयर शामिल होते हैं.

क्या है खासियत?

  • सिस्टम स्मार्ट ट्रैफिक सेंसर से डेटा जुटाता है.
  • चौराहों पर ट्रैफिक के फ्लो और वाहनों के दैनिक वॉल्यूम को नियंत्रित करने जानकारी देता है. शहर की सड़कों पर वाहन चलाने वाले लोगों की सुरक्षा बढ़ती है.
  • स्वचालित यातायात संकेतों और पारदर्शी दंड प्रणालियों का उपयोग करने में मदद करता है.
  • यह ट्रैफिक कंजेशन को कम करता है.

स्मार्ट सिटी मैनेजर ने क्या कहा

स्मार्ट सिटी मैनेजर ई गवर्नेंस दीपेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि आईटीएमएस सिस्टम पूरी तरीके से हाईटेक व्यवस्था है. जो कि स्मार्ट ट्रैफिक सेंसर से डेटा जुटाता है. चौराहों पर सिग्रल क्राॅस करने वालों समेत अपराधों का खुलासा करने के मामले पर बेहतर कार्य किया है. कार्रवाई के मामले पर चाहे आम हो या खास हो यदि कोई उल्लंघन करेगा तो चालान घर पहुंचेगा.

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