बेटी की मौत के इंतजार में मां-बाप! इंदौर के कारोबारी दंपत्ति ने दिव्यांग को उज्जैन आश्रम में छोड़ा, 5 साल से नहीं ली सुध

Children's God: संतानों के लिए मां-बाप भगवान होते हैं, परिस्थितियां कैसी भी हो वो बच्चों का त्याग नहीं करते हैं, लेकिन इंदौर के उद्योगपति परिवार ने इसे झुठला दिया है. 5 साल पूर्व अपनी दिव्यांग बेटी को उज्जैन आश्रम में 15 दिन के लिए छोड़कर गया परिवार 5 साल बाद भी बेटी की सुध नहीं ले सका.

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Indore industrialist family left her divyang dying daughter in ujjain ashram

Modern Parents: इंदौर जिले के एक उद्योगपति परिवार ने पांच साल पहले अपनी 3 वर्षीय दिव्यांग बेटी को उज्जैन आश्रम में मरने के लिए छोड़ दिया. पिछले पांच साल से आश्रम में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही दिव्यांग को साल 2020 में उद्योपति परिवार 15 दिन के लिए आश्रम में रखने के लिए छोड़कर गया था, लेकिन आज तक वापस नहीं लौटा.

संतानों के लिए मां-बाप भगवान होते हैं, परिस्थितियां कैसी भी हो वो बच्चों का त्याग नहीं करते हैं, लेकिन इंदौर के उद्योगपति परिवार ने इसे झुठला दिया है. 5 साल पूर्व अपनी दिव्यांग बेटी को उज्जैन आश्रम में 15 दिन के लिए छोड़कर गया परिवार 5 साल बाद भी बेटी की सुध नहीं ले सका.

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पांच साल से उज्जैन के आश्रम में पल-पल मौत का इंतजार कर रही है सजल

गौरतलब है जन्म से दिव्यांग सजल पिछले पांच साल से उज्जैन के आश्रम में पल-पल मौत का इंतजार कर रही हैं. इंदौर स्थित अग्रवाल नगर निवासी ऑटो मोबाइल व्यापारी पिंकेश अग्रवाल और प्रीति अग्रवाल के घर 22 अप्रैल 2017 को जन्मीं सजल पूरी तरह दिव्यांग पैदा हुई थी. उद्योगपति मां-बाप ने 3 साल की उम्र से दिव्यांग बेटी को त्यागने का फैसला कर लिया.

15 दिन के लिए आश्रम में छोड़कर गया परिवार आज तक वापस नहीं लौटा

रिपोर्ट के मुताबिक करीब 5 साल पहले दिव्यांग बेटी सजल को आश्रम संचालक सुधीर भाई गोयल को 15 दिन रखने का निवेदन कर छोड़कर गया उद्योपति परिवार गया था, लेकिन आज तक नहीं लौटा और न उसकी कोई खबर ली. आश्रम की ओर से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन वर्तमान में 8 साल की हो चुकी सजल को देखने तक को तैयार नहीं है.

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दिव्यांग बेटी की परवरिश से तंग आकर इंदौर के अग्रवाल नगर निवासी उद्योगपति परिवार ने महज 3 साल की उम्र बेटी को बोझ समझकर त्यागने का फैसला किया और 26 जनवरी 2020 को उज्जैन के ग्राम अम्बोदिया स्थित अंकित सेवाधाम आश्रम में बेटी को निर्दयता से छोड़ दिया.

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मरणासन्न दिव्यांग बेटी को 5 साल में एक बार भी मिलने नहीं आया परिवार

सजल का मामला सामने आने पर एनडीटीवी की टीम उज्जैन से 22 किलोमीटर दूर स्थित सेवाधाम आश्रम पहुंची. आश्रम संचालक गोयल ने बताया कि मित्तल परिवार खाटू श्याम के भक्त है और धार्मिक कार्यों में लाखों रुपए खर्च करते है, लेकिन मरणासन्न बेटी दिव्यांग सजल को पिछले पांच सालों में एक बार देखने के लिए आश्रम नहीं आए.

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भरा-पूरा उद्योगपति का परिवार, लेकिन दिव्यांग बेटी किसी को नहीं स्वीकार

गोयल ने बताया कि सजल के दादा पुरुषोत्तम मित्तल बड़े उद्योगपति है. सजल की एक बड़ी बहन भी है, स्वस्थ होने के कारण परिवार ने उसे अपने पास रखा, लेकिन दिव्यांग सजल को त्याग दिया. सजल के परिवार में दादा-दादी, माता-पिता, चाचा-चाची है, लेकिन किसी को भी दिव्यांग बेटी से न प्यार है और न ही उसे स्वीकारना चाहते हैं. 

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उज्जैन सेवाधाम आश्रम में संचालक सुधीर भाई गोयल ने बताया कि तीन वर्ष की उम्र में दिव्यांग सजल को उसके दादा यह कहकर आश्रम में छोड़ गए थे कि सजल के पिता पिंकेश का एक्सीडेंट हो गया है. घर में कोई देख-रेख करने वाला नहीं है, इसलिए सिर्फ 15 दिन सजल को रख लो.

दो साल की उम्र में दिव्यांग को छत से नीचे फेंका, बच गई तो आश्रम भेजा

उज्जैन सेवाधाम आश्रम में 8 वर्षीय सजल मरणासन्न पड़ी है, लेकिन उसका कोई उसके पास नहीं है. कुछ समय पहले सजल के मरणासन्न होने की सूचना पर भी परिवार से कोई नहीं पहुंचा. बताते हैं सजल जब दो साल की थी तब उसे मारने के लिए कोशिस में उसकी मां ने एक मंजिल से नीचे फेंक दिया था, लेकिन वह बच गई तो उसे आश्रम भिजवा दिया. 

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