
Indore Sanghamitra Bhargava News: देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागार में गुरुवार का दोपहर कुछ अलग ही था. मंच पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव जैसे बड़े नाम बैठे थे. सामने छात्रों से खचाखच भरा हॉल था, जहां युवा आवाज़ें अपनी-अपनी बात रखने को तैयार थीं. सबको लग रहा था कि ये एक साधारण-सी वाद-विवाद प्रतियोगिता होगी. लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि बहस के बीच एक ऐसा मोड़ आएगा, जो मंच पर बैठे नेताओं को भी असहज कर देगा.
बुलेट ट्रेन और अधूरे वादे याद दिलाए
माइक हाथ में था महापौर के बेटे संघमित्र भार्गव के, विषय था केंद्र सरकार की नीतियां. और संघमित्र ने विपक्ष की भूमिका में अपनी बात शुरू की. उनकी आवाज़ में जोश था और सवाल इतने सीधे कि हॉल में सन्नाटा गूंजने लगा. उन्होंने रेल हादसों से लेकर बुलेट ट्रेन तक का हिसाब-किताब खोल दिया. कहा- “2022 तक अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन दौड़नी थी, लेकिन 2025 आ गया और अब तक दौड़ रही है तो सिर्फ वादाखिलाफी.” उन्होंने आंकड़े गिनाए कि पिछले दस सालों में रेल हादसों में 20 हज़ार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. स्टेशन डेवलपमेंट योजना का जिक्र करते हुए तंज कसा कि 400 स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बनाने का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक सिर्फ 20 पर ही काम हुआ है.
सीएम की मौजूदगी में तीखे सवाल
संघमित्र के सवाल सीधे केंद्र सरकार से थे और खास बात ये कि उसी समय मंच पर मुख्यमंत्री मोहन यादव और महापौर यानी उनके पिता पुष्यमित्र भार्गव भी मौजूद थे. दर्शक भी मानो चौंक गए कि सत्ता के इतने करीब बैठा एक बेटा इतनी खुलकर सरकार की नीतियों पर चोट कर रहा है. माहौल और रोचक तब हो गया जब विपक्षी नेता दिग्विजय सिंह ने इस पर ट्वीट कर बीजेपी पर तंज कसते हुए संघमित्र भार्गव को काफ़ी प्रभावशाली वक्ता बताया और बधाई दी.
सीएम मोहन यादव ने दिया ये जवाब
इस भाषण पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी मंच से प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा—“वाद-विवाद प्रतियोगिता में वक्ता को जो भूमिका मिलती है, वो उसी पर बोलता है. विपक्ष की भूमिका मिली तो उसने विपक्ष की तरह ही बोला. ये तो प्रतियोगिता का हिस्सा है.” लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. भाषण के बाद महापौर ने जब सफाई दी कि उन्होंने बेटे को ये बातें नहीं सिखाईं, तो मुख्यमंत्री ने हंसते हुए कहा- “आप इसे खुद पर मत लीजिए, ये सिर्फ बहस थी. वरना वही कहावत लागू हो जाएगी- चोर की दाढ़ी में तिनका.”
साधारण बहस से बना सियासी मुद्दा
बाद में मीडिया से बातचीत में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा- “ऐसी प्रतियोगिताएं शहर में रोज़ होती हैं. मेरे सुपुत्र ने पक्ष में भी बोला और विपक्ष में भी. ये उनका नजरिया है. आयोजकों ने इसे श्रेष्ठ प्रदर्शन मानकर पुरस्कृत किया है. कांग्रेस की दिक्कत यही है कि वो खेल को राजनीति और राजनीति को खेल समझ लेती है.” यानी, एक साधारण-सी वाद-विवाद प्रतियोगिता से उठी लहर सीधे राजनीति के किनारों तक जा पहुंची. जहां एक तरफ छात्रों के लिए ये महज एक मंचीय मुकाबला था, वहीं बाहर की दुनिया में इसे सत्ता, विपक्ष और तंज की जुगलबंदी के रूप में देखा गया.