
Digitization Of Jabalpur Revenue Documents : डिजिटलीकरण (Digitization) करके सभी जरूरी दस्तावेजों को सुरक्षित किया जा रही है. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जिलों में राजस्व रिकॉर्ड (Revenue Documents) सदियों से जिले के इतिहास, जमीनों के विवाद और नागरिक अधिकारों का आधार रहे हैं. लेकिन समय के साथ इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों की देखभाल में लापरवाही और संसाधनों की कमी ने रिकॉर्ड रूम की हालत बदतर कर दी थी. कहीं दीमक ने दस्तावेजों को खोखला कर दिया, तो कहीं धूल और नमी ने पन्नों को बेजान बना दिया.
तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से दस्तावेजों को किया सुरक्षित
अक्सर आम नागरिकों को अपने दस्तावेज़ खोजने में बाबुओं के चक्कर काटने पड़ते थे. रिकॉर्ड ढूंढना न तो आसान था, न ही पारदर्शी. इसके लिए कभी सिफारिशें काम आतीं तो कभी जेब ढीली करनी पड़ती. लेकिन अब जबलपुर में तस्वीर बदल गई है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर कलेक्टर दीपक सक्सेना की निगरानी में रिकॉर्ड रूम का कायाकल्प किया गया. आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से दस्तावेजों को अब सुरक्षित किया जा रहा है.
प्रक्रिया बेहद सिस्टमैटिक है
पुराने रिकॉर्ड्स को सबसे पहले सफाई के बाद विशेष पॉलीथिन बैग में पैक किया जाता है.इन दस्तावेजों को कलर-कोडेड प्लास्टिक बॉक्स में सजाकर एक सुनियोजित स्थान पर रखा जाता है. रिकॉर्ड रूम के बाहर लगे डिजिटल डिस्प्ले पर नागरिक अपने दस्तावेज़ का नंबर डालकर यह जान सकते हैं कि उनका रिकॉर्ड किस बॉक्स में, किस स्थान पर सुरक्षित रखा है.
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भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी ये नई पहल
अब रिकॉर्ड की चाबी बाबुओं से निकलकर सीधे जनता के हाथ में आ गई है. पारदर्शिता और जवाबदेही की यह व्यवस्था न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी बल्कि लोगों के समय और मेहनत दोनों की बचत करेगी. डिजिटलीकरण का काम भी तेजी से चल रहा है. कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि अब तक 14 लाख पन्नों का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है, और 34 लाख पन्नों की स्कैनिंग शेष है. कार्य पूर्ण होते ही जबलपुर का समूचा राजस्व रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध होगा.
जबलपुर का यह मॉडल प्रदेश के अन्य जिलों के लिए आदर्श उदाहरण बनकर उभरा है. भविष्य में इसके आधार पर पूरे मध्यप्रदेश में राजस्व दस्तावेज़ों की व्यवस्था आधुनिक और सुगम हो सकेगी.