Madhya Pradesh News: पूर्णेन्दु तिवारी के परिजनों को सोलह साल बाद कतर (Qatar) से राहत भरी खबर मिली है. भारतीय नौसेना से जुड़े पूर्णेदु तिवारी की फांसी की सजा पर कतर की कोर्ट ने रोक लगा दी है. तिवारी उन आठ नौसैनिकों में शामिल हैं, जिन्हें कतर की अदालत ने सोलह महीने पहले जासूसी करने के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. इसके बाद पूरे भारत में इसको लेकर आक्रोश फैल गय था.
सभी आठ लोगों के परिजन निराश और उदास थे. भारत सरकार (Indian Government) ने इस सज़ा को माफ कर करने के लिए बड़ी पहल की और जिसके चलते कतर की सरकार ने आठ लोगों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया. यह सूचना जब ग्वालियर में रह रहे पूर्णेन्दु तिवारी के रिश्तेदारों को लगी तो उन्होंने बड़ी राहत की सांस ली और बहुत भावुक हो गए. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया.
भारत सरकार और मोदी जी ने किए खास प्रयास
पूर्णेदु की बहन की ससुराल ग्वालियर में है और उनकी बहन के ससुर डॉ पी एन भार्गव ग्वालियर के सिटी सेंटर इलाके की विंडसर हिल में रहते है. उन्हें जब मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदलने की सूचना मिली तो वे खुशी से भावुक हो गए. उनका कहना है कि इसमें भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा प्रयास रहा है .उनका कहना है कि परिवार लगातार भारत सरकार के संपर्क में था. इसमे भारत सरकार ने पूरी मदद की और इसके लिए उंसकी जितनी तारीफ की जाए कम ही है.
क्या है यह पूरा मामला जानिए...
कतर में नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक संस्था में काम करने वाले आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को 20 अगस्त 2022 को कतर में गिरफ्तार कर लिया गया था. इन पर आरोप लगा था कि वे लोग देश के खिलाफ जासूसी कर रहे थे. देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाते हुए पकड़े गए भारतीयों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल ,कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, वीरेंद्र वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुगनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, अमित नागपाल और सेलर राकेश शामिल थे. 26 अक्टूबर 2023 को क़तर की अदालत ने सभी को मौत की सज़ा सुना दी तो देश भर में हड़कंप मच गया.
पूर्णेन्दु की बहन ने उठाया था मामला
इस सज़ा के बाद कतर में फंसे पूर्व नौसैनिकों के परिवार और भारत मे रह रहे इनके परिजनों में आक्रोश और निराशा दिख रही थी. इस मामले को कैप्टन पूर्णेदु तिवारी की ग्वालियर निवासी बहन डॉ मीतू भार्गव ने सोशल मीडिया के जरिए यह मामला उठा था, जिसके बाद पूरे देश भर में भी इनकी मदद की मांग उठी. मीतू के लगातार प्रयास के चलते स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर संज्ञान लिया और बड़े स्तर प्रयास शुरू किए गए. हालांकि प्रयास इस सज़ा को ही निरस्त करने को लेकर चल रहे है लेकिन इस बीच एक बड़ी सफलता यह मिली कि इन सभी पूर्व नौसेना अधिकारियों की मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया गया.
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आगे क्या हो सकता है इस मामले में
कतर की जेल में बन्द नौसेना अधिकारियों की मौत की सज़ा को आजन्म कारावास में बदलने को भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है. वैसे भी भारत और कतर के बीच रिश्ते अच्छे हैं लेकिन इस घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच खटास पैदा होने लगी थी.
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